Ath Shrimahabharat Katha (Hindi Edition)


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Ath Shrimahabharat Katha by Shubhangi Bhadbhade (Author)

Ath Shrimahabharat Katha by Shubhangi Bhadbhade (Author)Ath Shrimahabharat Katha by Shubhangi Bhadbhade (Author)

पुस्तक में दी गई कहानियों का वर्णन एवं घटनाएँ अति रोचक, रोमांचक, जिज्ञासापूर्ण तथा आश्‍चर्यचकित कर देनेवाली हैं।

‘महाभारत’ का संक्षेप इस उपन्यास में होने पर भी मुख्य केंद्र हैं—श्रीकृष्ण, गांधारी। जीवन के मध्या काल में जब श्रीकृष्ण पहली बार राजमाता कुंती से मिलने हस्तिनापुर आए, तब सर्वप्रथम गांधारी से मिले। इस उपन्यास में उनकी चार बार भेंट हुई है। परंतु लगता है कि एक प्रज्ञावती का अस्पर्श मोह श्रीकृष्ण को है तथा एक लोकविलक्षण कर्तृत्व के धनी श्रीकृष्ण का आकर्षण गांधारी को है। दोनों की परस्पर कटुता और आकर्षण भी इस उपन्यास में है। वैसे अनेक प्रश्नों के उत्तर इस दार्शनिक उपन्यास में पाठकों को मिलेंगे ही। उपन्यास तो मैंने लिखा, परंतु धर्मक्षेत्र युद्धक्षेत्र कैसे?इसका उत्तर मुझे नहीं मिला। मन का प्रश्न मन में ही था। 1994 में मेरा नाटक ‘इदं न मम’ के मंचन के दौरान भारत-भ्रमण करते हुए पंजाब में आमंत्रित किया गया था। वहाँ हमें कुरुक्षेत्र के विवेकानंद स्कूल व कॉलेज में भी आमंत्रित किया गया था। अतः हमारी नाटक मंडली कुरुक्षेत्र गई, वहाँ मेरे प्रश्न का उत्तर मिल गया, जो मराठी भाषा में लिखे इस उपन्यास ‘पूर्णविराम’ में है।इसमें ‘राधा’ भी है। अनेक लेखक-कवियों ने इसका वर्णन मधुरा भक्ति के रूप में किया है। परंतु मेरे उपन्यास में राधा है तो बचपन की एक सखी और श्रीकृष्ण से प्रीति करनेवाली कन्या है। श्रीकृष्ण सोलह वर्ष के थे, तब मथुरा गए, पर वहाँ से लौटकर आए ही नहीं। परंतु राधा उनके मन की अधूरी कहानी थी। अन्य लेखकों ने राधा की मृत्यु नहीं दिखाई, परंतु मेरे उपन्यास में वह है।‘महाभारत’ के दशम स्कंध में आराधना करनेवाली किसी स्त्री का वर्णन है। ‘राध्’ धातु से ‘आराधना’ और ‘आराधना’ शब्द से ‘राधा’ शब्द की निर्मिति है। ‘राधा’ कोई भी गोपी हो, परंतु इस उपन्यास में श्रीकृष्ण के मन में नित्य प्रेरक शक्ति राधा रही है और उसकी मृत्यु श्रीकृष्ण के प्रत्यक्ष भेंट होने पर हुई है। कुरुक्षेत्र में जाने से पूर्व वे गंगा-यमुना स्नान के लिए कुंभ पर्व पर जाते हैं, तब उनकी भेंट है।भीष्माचार्य, दुर्योधन, शकुनि, धृतराष्ट्र, कर्ण आदि पात्र इस उपन्यास में अपनी-अपनी भूमिका के साथ आए हैं। वैसे ही राजमाता कुंती, महारानी गांधारी, वृषाली, द्रौपदी, सुकन्या अपनी-अपनी भूमिका लेकर उपन्यास में हैं।

Shubhangi BhadbhadeShubhangi Bhadbhade

Shubhangi Bhadbhade

जन्म : 21 दिसंबर, 1942 को बंबई में।शिक्षा : एम.ए. (हिंदी), साहित्य रत्‍न।सौ. शुभांगी भडभडे मराठी की अत्यंत लोकप्रिय एवं प्रख्यात साहित्यकार हैं। पौराणिक, ऐतिहासिक और सामाजिक घटना-प्रतिघटनाओं से प्रभावित होकर अपनी खास शैली में लिखनेवालों में उनका नाम आदर के साथ लिया जाता है।कृतियाँ : ग्यारह चारित्रिक तथा अठारह सामाजिक उपन्यास, पाँच कथा-संग्रह, बारह एकांकी। विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद कार्य के अतिरिक्‍त तीन नाटक और स्तंभ लेखन; साथ ही किशोर साहित्य। दूरदर्शन व आकाशवाणी पर नाटकों का प्रसारण तथा वार्त्ता आदि।सम्मान-पुरस्कार : महाराष्‍ट्र साहित्य सभा का ‘कविता पुरस्कार’, विदर्भ साहित्य संघ का ‘एकांकी लेखन पुरस्कार’, साहित्य अकादमी, बड़ौदा का ‘कथा पुरस्कार’, ‘कै. सुमन देशपांडे बाल साहित्य पुरस्कार’, ‘बाल उपन्यास पुरस्कार’, अ.भा. नाट्य परिषद्, मुंबई का ‘एकांकी लेखन पुरस्कार’ तथा ‘सारांश’ कथा-संग्रह पर महाराष्‍ट्र सरकार का ‘उत्कृष्‍ट वाड‍्मय पुरस्कार’।

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ASIN ‏ : ‎ B09RMX7615
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (1 February 2021)
Language ‏ : ‎ Hindi
File size ‏ : ‎ 3841 KB
Text-to-Speech ‏ : ‎ Not enabled
Enhanced typesetting ‏ : ‎ Not Enabled
Word Wise ‏ : ‎ Not Enabled
Print length ‏ : ‎ 240 pages

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