NARAD KI BHAVISHYAVANI (KRISHNA KI ATMAKATHA): A Glimpse into Narada’s Prophecies and Lord Krishna’s Autobiography by MANU SHARMA (Hindi Edition)

NARAD KI BHAVISHYAVANI (KRISHNA KI ATMAKATHA): A Glimpse into Narada’s Prophecies and Lord Krishna’s Autobiography by MANU SHARMA (Hindi Edition)
Price: ₹57.82
(as of Jul 14,2024 12:30:58 UTC – Details)


From the Publisher

NARAD KI BHAVISHYAVANI (KRISHNA KI ATMAKATHA VOL. I) by MANU SHARMA

NARAD KI BHAVISHYAVANI (KRISHNA KI ATMAKATHA VOL. I) by  MANU SHARMA NARAD KI BHAVISHYAVANI (KRISHNA KI ATMAKATHA VOL. I) by  MANU SHARMA

कर्म; भक्ति; नैतिकता और जीवन-मूल्यों का व्यावहारिक ज्ञान देनेवाली पुस्तक।

भगवान् श्रीकृष्ण का पृथ्वीलोक पर अवतरण ऐसे समय में हुआ था; जब यहाँ पर अन्याय; अधर्म और अनीति का प्रसार हो रहा था। आसुरी शक्तियाँ प्रभावी हो रही थीं और संतों; ऋषि-मुनियों के साथ-साथ सामान्य जनों का जीवन दूभर हो गया था; यहाँ तक कि स्वयं पृथ्वी भी बढ़ते अत्याचारों से त्राहि-त्राहि कर उठी थी। भगवान् श्रीकृष्ण ने अवतरित होकर न केवल दुष्ट राजाओं; राक्षसों और अधर्म का नाश किया; वरन् संतजनों; प्रिय भक्तों और सामान्य प्रजाजनों का उद्धार किया। युद्धस्‍थल में मोहग्रस्‍त एवं भ्रमित अर्जुन से ही मैंने नहीं कहा था कि तुम निमित्त मात्र हो वरन‍् इस पुस्तक के लेखक से भी कहा है कि तुम निमित्त मात्र हो; कर्ता तो मैं हूँ।… अन्यथा तुम आज की आँखों से उस अतीत को कैसे देख सकोगे; जिसे मैंने भोगा? उस संत्रास का कैसे अनुभव करोगे; जिसे मेरे युग ने झेला है? उस मथुरा को कैसे समझ सकोगे; जो मेरे अस्ति‍त्व की रक्षा के लिए नट की डोर के तनाव पर केवल एक पैरे से चली है?… और दुःखी व्रज के उसव प्रेमोन्माद का तुम्हें क्या आभास लगेगा; जो मेरे वियोग में आकाश के जलते चंद्र को आँचल में छिपाकर करील के कुंजों में विरहा‌ग्‍न‌ि बिखेर रहा था? कृष्‍ण के अनगिनत आयाम हैं। दूसरे उपन्यासों में कृष्‍ण के किसी विशिष्‍ट आयाम को ‌‌ल‌िया गया है। किंतु आठ खंडों में विभक्‍त इस औपन्‍यासिक श्रृंखला ‘कृष्‍ण की आत्मकथा’ में कृष्‍‍ण को उनकी संपूर्णता और समग्रता में उकेरने का सफल प्रयास ‌‌क‌िया गया है। किसी भी भाषा में कृष्‍‍णचरित को लेकर इतने विशाल और प्रशस्‍त कैनवस का प्रयोग नहीं किया है। यथार्थ कहा जाए तो ‘कृष्‍ण की आत्मकथा’ एक उपनिषदीय कृति है। ‘कृष्‍‍ण की आत्मकथा श्रृंखला के आठों ग्रंथ’ नारद की भविष्‍यवाणी दुरभिसंध‌ि द्वारका की स्‍थापना लाक्षागृह खांडव दाह राजसूय यज्ञ संघर्ष प्रलय

Customer Reviews

4.5 out of 5 stars
62

4.6 out of 5 stars
87

4.4 out of 5 stars
73

4.3 out of 5 stars
70

4.5 out of 5 stars
132

Price

₹27.49₹27.49 ₹57.82₹57.82 ₹27.49₹27.49 ₹57.82₹57.82 ₹57.82₹57.82

ASIN ‏ : ‎ B07CWS18Z4
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (5 May 2018)
Language ‏ : ‎ Hindi
File size ‏ : ‎ 1094 KB
Text-to-Speech ‏ : ‎ Enabled
Screen Reader ‏ : ‎ Supported
Enhanced typesetting ‏ : ‎ Enabled
Word Wise ‏ : ‎ Not Enabled
Print length ‏ : ‎ 339 pages

Customers say

Customers find the content interesting and awesome to read. They also appreciate the description of the well-known story.

AI-generated from the text of customer reviews

(Visited 1 times, 1 visits today)

About The Author

You Might Be Interested In

Post A Comment For The Creator: indictube.com

Your email address will not be published. Required fields are marked *