Raaggiri: A Musical Journey of the Soul (Hindi Edition)
Price: ₹295.00
(as of Jul 25,2024 23:14:06 UTC – Details)
From the Publisher
Raaggiri by Shri Girijesh Kumar , Shivendra Kumar Singh
वह म्यूजिक रूम, जहाँ आनेवाले कल का कोई सदाबहार नगमा आकार ले रहा है, जहाँ गीत-संगीत के रचनाकारों के बीच सुरीला संवाद हो रहा है।
किस्से-कहानियाँ किसे पसंद नहीं। और वो भी ऐसे किस्से, जिन्हें सुनते हुए कोई मीठा सा गीत पार्श्व संगीत बनकर बजने लगे, आँखों के सामने कुछ चहेते चेहरे अनायास तैरने लगें।ऐसे किस्से, जिन्हें पढ़ते हुए आप पहुँच जाएँ किसी सिद्ध संगीतज्ञ के म्यूजिक रूम में। वह म्यूजिक रूम, जहाँ आनेवाले कल का कोई सदाबहार नगमा आकार ले रहा है, जहाँ गीत-संगीत के रचनाकारों के बीच सुरीला संवाद हो रहा है, जहाँ साज और आवाज की सोज भरी जुगलबंदी हो रही है।अकसर देखा गया है कि शास्त्रीय रागों की बात भी बड़े शास्त्रीय तरीके से की जाती है, लेकिन ‘रागगीरी’ का अंदाज बिल्कुल अलग है। यहाँ किस्सा भले ही शुरू होता है किसी राग के बहाने, लेकिन पढ़नेवाला पहुँच जाता है किसी जाने-पहचाने गीत की गंगोत्तरी पर।
अनुक्रम:-
राग केदारराग किरवानीकौशिक कांहड़ाराग कामोदराग काफीराग गौड़ सारंगराग गोरख कल्याणराग झिंझोटीराग तिलक कामोदराग दरबारी कांहड़ाराग बसंत मुखारीराग मियाँ की मल्हारराग वृंदावनी सारंगराग शिवरंजनीराग शुद्ध कल्याण
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गिरिजेश कुमार
आकाशवाणी संगीत सम्मेलन समेत राष्ट्रीय स्तर के कई कार्यक्रमों में प्रस्तुतियाँ।
प्रयाग संगीत समिति से ग्वालियर घराने के पं. शांताराम विष्णु कशालकर के मार्गदर्शन में शास्त्रीय गायन में संगीत प्रवीण की उपाधि।लंबे समय तक किराना घराने के कलाकार उस्ताद आरिफ अली से भी तालीम ली। बीस से ज्यादा नाटकों में संगीत निर्देशन, लेकिन पेशे से टी.वी. पत्रकार।आकाशवाणी संगीत सम्मेलन समेत राष्ट्रीय स्तर के कई कार्यक्रमों में प्रस्तुतियाँ। पिछले 20 साल से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में संगीत से जुड़े विषयों पर लगातार लेखन। शिवेंद्र कुमार सिंह
जन्म 1978 में प्रयागराज में। लिखने-पढ़ने का शौक वहीं से लगा। नौकरी के लिए नोएडा आए।अमर उजाला, जी न्यूज, स्टार न्यूज और एबीपी न्यूज में पंद्रह साल तक नौकरी की इस दौरान लंबे अरसे तक खेल पत्रकारिता की। क्रिकेट विश्व कप से लेकर ओलंपिक तक कवर किया। इसके बाद नौकरी छोड़कर स्वतंत्र पत्रकारिता के रास्ते पर आए।नौकरी छोड़ने की वजह बनी—रागगीरी। अपनी अगली पीढ़ी में शास्त्रीय संगीत के संस्कार डालने की कोशिश में जो मुहिम शुरू की वही रागगीरी है; प्रयास अनवरत जारी है।
ASIN : B07VX4DS6P
Publisher : Prabhat Prakashan (3 August 2019)
Language : Hindi
File size : 12153 KB
Text-to-Speech : Enabled
Screen Reader : Supported
Enhanced typesetting : Enabled
Word Wise : Not Enabled
Print length : 242 pages