Sanatan Sanskriti Ka Mahaparva Simhastha: Exploring the Grand Festival of Sanatan Culture (Hindi Edition)
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SANATAN SANSKRITI KA MAHAPARVA SIMHASTHA (Hindi) by SIDDHARTHA SHANKAR GAUTAM
गौतम बुद्ध ने नदियों के तट पर आयोजित कुंभ पर्व को ‘नदी पर्व’ कहा है।
आधुनिक कुंभ पर्व का धार्मिक रूप से प्रचार-प्रसार आदिगुरु शंकराचार्य ने किया था। उन्होंने पर्व की शुरुआत धार्मिक मान्यताओं को बढ़ावा देने और हिंदुओं को अपनी सनातन संस्कृति की पहचान दिलाने के उद्देश्य से की थी। आज भी कुंभ पर्व मुख्यतः साधु-संत समाज का ही पर्व माना जाता है। वस्तुतः कुंभ पर्व सनातन है। अग्नि पुराण, गरुड़ पुराण, वराह पुराण, कूर्म पुराण, वामन पुराण, मत्स्य पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, पद्म पुराण, शिव पुराण, विष्णु पुराण, स्कंद पुराण, लिंग पुराण, हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, महाभारत, वाल्मीकि रामायण तथा अन्य प्राचीन ग्रंथों, जैसे ऋग्वेद, अथर्ववेद, शतपथ ब्राह्मण में वर्णित आख्यानों से कुंभ पर्व की प्राचीनता का अनुमान लगाया जा सकता है। गौतम बुद्ध ने नदियों के तट पर आयोजित कुंभ पर्व को ‘नदी पर्व’ कहा है।विष्णु पुराण के अनुसार—‘‘हजारों स्नान कार्तिक में, सैकड़ों स्नान माघ मास में किए हों तथा करोड़ों बार वैशाख में नर्मदा स्नान से जो पुण्य प्राप्त होता है, वही पुण्य एक बार कुंभ पर्व में स्नान करने से प्राप्त होता है।’’ —इसी पुस्तक से
अनुक्रम
आत्मकथ्य
मंगलाचरण : जो इनकी शरण आया! — डॉ. सोमदत्त गौतम
खंड-1
1. मैं उज्जैन हूँ
2. मेरी पौराणिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
3. अद्भुत है मेरी धरा
4. कलकल बहती मोक्षदायिनी शिप्रा
5. प्रमुख मंदिर जिनसे अमर है मेरा वैभव
6. न्याय की धरा भी हूँ मैं
7. अमृत की एक बूँद ने धन्य किया मुझे
Siddhartha Shankar Gautam
जन्म : 2 फरवरी, 1986, महरौनी, जिला-ललितपुर (उ.प्र.)।शिक्षा : एम.ए. (जनसंचार)।संप्रति : पत्रकारिता। देश के विभिन्न समाचार-पत्रों में 750 से अधिक लेखों का प्रकाशन।पूर्व प्रकाशित पुस्तकें : ‘वैचारिक द्वंद्व’, ‘लोकतंत्र का प्रधान सेवक’ एवं ‘राष्ट्रभावना का जाग्रत् प्रहरी संघ।
अन्य प्रसिद्ध कृतियां।
Sanatan Sanskriti Ka Mahaparva Simhastha
वस्तुतः कुंभ पर्व सनातन है। अग्नि पुराण; गरुड़ पुराण; वराह पुराण; कूर्म पुराण; वामन पुराण; मत्स्य पुराण; ब्रह्मवैवर्त पुराण; पद्म पुराण; शिव पुराण; विष्णु पुराण; स्कंद पुराण; लिंग पुराण; हरिवंश पुराण; श्रीमद्भागवत; महाभारत; वाल्मीकि रामायण तथा अन्य प्राचीन ग्रंथों; जैसे ऋग्वेद; अथर्ववेद; शतपथ ब्राह्मण में वर्णित आख्यानों से कुंभ पर्व की प्राचीनता का अनुमान लगाया जा सकता है।
Vishwa Dharohar Mahakumbh
भारतीयों के प्रत्येक पर्व और त्योहार की नींव किसी ठोस वैज्ञानिक और तार्किक आधार पर रखी गई है। इन सभी पर्वों और त्योहारों की जड़ में कुछ-न-कुछ वैज्ञानिक रहस्य अवश्य होता है, जो आत्मशुद्धि और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभदायक होता है।
Prayagraj Kumbh-Katha
तीर्थराज प्रयाग में कुंभपर्व पर आनेवाले शंकराचार्यों; महंतों; मठाधीशों; साधु; संतों; स्नानार्थियों और कल्पवासियों की परंपरा; उनकी दिनचर्या और उनके आकर्षक आयोजनों का दर्शनीय वर्णन भी प्रस्तुत पुस्तक के प्रकाशन में प्रमुख रूप से प्रतिपाद्य बनाने का प्रयास किया गया है। महाकुंभ पर एक संपूर्ण पुस्तक।
KUMBH AASTHA KA PRATEEK
हर बारह वर्ष बाद देश के विभिन्न स्थलों पर शंकराचार्यों के नेतृत्व में हमारे मनीषी देश की नीति और नियम को तय कर समाज संचालित करते थे। ये नियम सनातन परंपरा को अक्षुण्ण रखने के साथ-साथ समय की माँग के अनुसार भी बनते थे। आज मानव समाज के सामने जो समस्याएँ चुनौती बनकर खड़ी हैं; उनमें आतंकवाद; भ्रष्टाचार; हिंसा और देशद्रोह के समान मानव को जर्जर कर देनेवाली समस्या है पर्यावरण प्रदूषण।
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ASIN : B078GSZ93H
Publisher : Prabhat Prakashan (18 December 2017)
Language : Hindi
File size : 1392 KB
Text-to-Speech : Enabled
Screen Reader : Supported
Enhanced typesetting : Enabled
Word Wise : Not Enabled
Print length : 179 pages