Myths and Symbols in Indian Art and Civilization (Princeton Classics Book 29)


ASIN ‏ : ‎ B0859XGR26
Publisher ‏ : ‎ Princeton University Press; Illustrated edition (3 April 2018)
Language ‏ : ‎ English
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INDIA AND ASIAN GEOPOLITICS by Shivshankar Menon book review  #geopolitics #indopacific   #asian
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INDIA AND ASIAN GEOPOLITICS by Shivshankar Menon book review #geopolitics #indopacific #asian

One of the best book for enhance awareness about geopolitics, to gain knowledge about geopolitics, and this book helps to acquire knowledge about India’s relation with the Asian nations and especially with China. you will get the knowledge about the importance of south Asian countries to India #geopolitics #india #indiachina #geography #geonews #india #asian #bookreview […]

Aspects of Meditation Book 2: Meditation, a Jumping Off Point


ASIN ‏ : ‎ B08FZ821KY
Publisher ‏ : ‎ St. Martin's Essentials (22 February 2022)
Language ‏ : ‎ English
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Bhartiya Jyotish Vigyan | Unlock the Mysteries of Vedic Astrology | A Beginners Guide to Jyotish Vigyan | Book in Hindi

From the Publisher

BHARATIYA JYOTISH VIGYAN by RAVINDRA KUMAR DUBEY

BHARATIYA JYOTISH VIGYAN  by RAVINDRA KUMAR DUBEYBHARATIYA JYOTISH VIGYAN  by RAVINDRA KUMAR DUBEY

भारतीय दर्शन के अनुसार कर्म तीन प्रकार के होते हैं,-१.संचित कर्म,२-प्राब्ध कर्म,३-क्रियमाण कर्म. वर्तमान तक किया गया कर्म संचित कर्म कहलाता है

वर्तमान में जो कर्म हो रहा है, वह क्रियमाण है, संचित कर्म का जो भाग हम भोगते है, वह प्रारब्ध कहलाता है, लेकिन जब हम किसी बात को सोचते हैं तो कहते हैं, कि पीछे जो हम करके आये हैं, वह याद क्यों नहीं रहता है, तथा कल जो होने वाला हमें याद क्यों नहीं रहता है, प्रकति से हमारे सामने जो अभी है, वह ही हमे याद रहता है, कल हमने जो किया है, कल क्या होगा, यह हमे दूसरे दिन ही पता लगता है, जो व्यक्ति पीछे और आगे की बात को कहता है, उसके लिये ही ज्योतिष विज्ञान का निर्माण किया गया है, इस विज्ञान के द्वारा जन्म समय के जो भी तत्व सामने होते हैं, उनके प्रभाव का असर प्रकॄति के अनुसार जो भी पहले हुआ या इतिहास बताता है, उन तत्वों का विवेचन करने के बाद ही ज्योतिष का कथन किया जाता है, ज्योतिष में तीन प्रकार के कर्मों की व्याख्या बताई जाती है, पहला-सत, दूसरा-रज और तीसरा-तम.उसी तरह से तीन प्रकार के शरीर भी बताये गये हैं-स्थूल शरीर, सूक्षम शरीर, कारण शरीर.

१.स्थूल शरीर जन्म के बाद जो शरीर सामने दिखाई देता है, वह स्थूल शरीर होता है, इसी स्थूल शरीर का नाम दिया जाता है, इसी के द्वारा संसारी कार्य किये जाते है, इसी शरीर को संसारी दुखों से गुजरना पड़ता है और जो भी दुख होते हैं, उनके लिये केवल एक ही भाषा होती है कि हमारी कोई न कोई भूल होती है, जो भूलता है वही भुगतता है, इसी शरीर के अन्दर एक शरीर और होता है, जिसे सूक्ष्म शरीर कहते हैं।

२.सूक्षम शरीर) हर भौतिक शरीर के अन्दर एक सूक्षम शरीर होता है, इस बात का पता पहले नहीं था, मगर जब से लोगों को पुनर्जनम और ॠषियों द्वारा दिये गये हजारों साल पहले के कारण और आज के वैज्ञानिक युग में आकर उनका दिखाई देना, जिनके बारे में पहले कभी सोचा नहीं हो, वे सामने आयें और उनको देख कर हम लोग यही कहें, कि यह तो बहुत पहले देखा था, या सुना था, मंगल की पूजा के लिये हनुमानजी की पूजा हजारों सालों से की जा रही है और मंगल के लिये सभी ने पुराने वेदों की बातो के अनुसार ही उनका अभिषेक आदि करना चालू कर दिया था, मगर जब अमेरिका के नासा संस्थान ने वाइकिन्ग मंगल पर भेज कर मंगल का चेहरा प्रकाशित किया, तो लोगों का कौतूहल और जग गया कि, वेदों में यह बात किस प्रकार से पता लगी थी कि मंगल का चेहरा एक बन्दर से मिलता है और मंगल एक लाल ग्रह है, इस बात के लिये कितनी बातें जो हम पिछले समय से सुनते आ रहे हैं,"लाल देह लाली लसे और धरि लाल लंगूर, बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर.", मंगल का रूप अंगारक, महाभान, अतिबक्र, लोहित और लोहित अंगोसे सुसज्जित शरीर की कामना बिना सूक्षम शरीर की उपस्थिति के पता नहीं चल सकती है।

३.कारण शरीर (Causal Body) जब कारण पैदा होता है, तभी शरीर सूर्य की तरह से उदय होता है, इस शरीर को जो भी कार्य संसार में करने होते हैं, उन्ही के प्रति इस शरीर का संसार में आना होता है, कार्यों के खत्म होते ही यह शरीर बिना किसी पूर्व सूचना के चल देता है, पानी में मिल जाता है, मिट्टी मिट्टी में मिल जाती है, हवा हवा में मिल जाती है, आग आग में मिल जाती है और आत्मा अपनी यात्रा को दूसरे काम के लिये पुनर्जन्म लेने के लिये बाध्य हो जाती है, यही कारण रूपी शरीर की गति कहलाती है।

अन्य प्रसिद्ध कृतियां।

Pandit Bhojraj Dwivedi

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Ank Jyotish Vigyan Evam Bhavishyafal: Fortune-Telling By Astrology by  ARUN SAGAR ANAND

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Adhunik Jyotish by Raghunandan Prasad Gaur

Adhunik Jyotish by Raghunandan Prasad Gaur Jyotish Aur Aakriti Vigyan

आकृति द्वारा भूत, भविष्य एवं वर्तमान कथन की परंपरा भारत की सर्वाधिक प्राच्य परंपराओं एवं चमत्कारी विद्याओं में से एक है। मनुष्य जैसे स्वभाव और चरित्र का होता है, उसकी आकृति भी वैसी ही होती है। इसलिए विद्वानों ने कहा— ‘मनुष्य का चेहरा उसके मस्तिष्क का दर्पण होता है।’ विद्वान लेखक ने अपने वर्षों के निरंतर शोध व परीक्षण से पाया कि जन्म-लग्न में जिन-जिन ग्रहों का जो प्रभाव होता है, वह व्यक्ति के चेहरे पर स्वतः ही मुखरित हो जाता है।

Ank Jyotish

अंक ज्योतिष मूलत: भारतीय है, परन्तु आजकल जिस रूप में यह भारत में प्रसिद्ध और प्रचलित हो रहा है, इसका वह स्वरूप अवश्य ही पाश्‍चात्य है । प्रस्तुत पुस्तक विद्वान् लेखक के वर्षों के सतत परिश्रम, खोज एवं अनुभव के आधार पर लिखी गयी है, जिसके द्वारा आप जहां स्वयं लाभ उठा सकते हैं. वहीं अपने मित्रों, सम्बन्धियों एवं परिचितों का भी उचित मार्गदर्शन कर सकते हैं ।

Adhunik Jyotish

इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें जन्मपत्री बनाने की भारतीय पद्धति के साथ-साथ पाश्चात्य पद्धति भी दी गयी है, जो कि आधुनिक युग में कम्प्यूटर ज्योतिष में प्रयुक्त होती है। इसके साथ ही तात्कालिक सन्दर्भ हेतु विभिन्न सारणियाँ प्रस्तुत करते हुए उन्हें बनाने की विधि भी समझा दी गयी है|

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ASIN ‏ : ‎ 938311181X
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.; 2015th edition (1 January 2018); New Delhi-110002 (PH: 7827007777) Email: prabhatbooks@gmail.com
Language ‏ : ‎ Hindi
Hardcover ‏ : ‎ 135 pages
ISBN-10 ‏ : ‎ 9789383111817
ISBN-13 ‏ : ‎ 978-9383111817
Reading age ‏ : ‎ 18 years and up
Item Weight ‏ : ‎ 400 g
Dimensions ‏ : ‎ 20.3 x 25.4 x 4.7 cm
Net Quantity ‏ : ‎ 1 Count
Importer ‏ : ‎ Prabhat Prakashan Pvt. Ltd., 4/19, Asaf Ali Raod, New Delhi-110002 (PH: 7827007777) Email: prabhatbooks@gmail.com
Packer ‏ : ‎ Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.
Generic Name ‏ : ‎ Book
Complete Modern Indian History | Spectrum Book | Lecture- 36 | UPSC | StudyIQ IAS
48:25

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Bipin Chandra Modern History  | Old NCERT Class 12 Modern History of India  |  Book Review | UPSC
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