Chanakya Neeti Aur Safalta Ke Secrets: Ancient Wisdom for Success (Hindi Edition)

From the Publisher

Chanakya Neeti Aur Safalta Ke Secrets by A K Gandhi

Chanakya Neeti Aur Safalta Ke Secrets by A K GandhiChanakya Neeti Aur Safalta Ke Secrets by A K Gandhi

यह चाणक्य द्वारा निर्धारित नीतियों की पृष्ठभूमि में ही था कि भारत एक महान् राष्ट्र बनने के लिए विकसित हुआ।

चाणक्य, जिन्हें विष्णुगुप्त और कौटिल्य के नामों से भी जाना जाता है, प्राचीन समय के महान् विचारक और विद्वान् के रूप में प्रख्यात हैं। उन्हीं के सतत प्रयासों के फलस्वरूप चंद्रगुप्त का भारत के प्रथम सम्राट् के रूप में उदय हुआ। उन्होंने युवा चंद्रगुप्त को इस प्रकार तैयार किया कि उन्हें एक प्रबल व्यक्तित्व, कुशल शासक और सक्षम योद्धा बनाया जा सके। यह चाणक्य द्वारा निर्धारित नीतियों की पृष्ठभूमि में ही था कि भारत एक महान् राष्ट्र बनने के लिए विकसित हुआ।

चाणक्य ने ‘अर्थशास्त्र’ शीर्षक से अपनी महान् कृति लिखी है, जो राजनीति विषय पर एक सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है। उनके द्वारा निर्धारित नीति को ‘चाणक्य नीति’ कहा जाता है, जिसे आज भी मौजूदा मुद्दों को हल करने और समझने के लिए संदर्भित किया जाता है। यह एक प्राचीन कार्य हो सकता है, फिर भी इसमें शामिल ज्ञान और गुणों के कारण इसने अपने समकालीन मूल्य को बनाए रखा है, इसलिए यह जानने की आवश्यकता है कि इसमें उन्होंने क्या लिखा है?

*****

======================================================================================================================

Customer Reviews 3.6 out of 5 stars 7 4.6 out of 5 stars 13 4.2 out of 5 stars 73 3.8 out of 5 stars 11 4.4 out of 5 stars 364 4.1 out of 5 stars 16 Price ₹51.45₹51.45 ₹51.45₹51.45 ₹51.45₹51.45 ₹118.12₹118.12 ₹30.45₹30.45 ₹10.62₹10.62 ए.के. गांधीए.के. गांधी

ए.के. गांधी

मेरठ (उ.प्र.) में जन्मे ए.के. गांधी वरिष्ठ लेखक तथा अनुवादक हैं। उन्होेंने अनेक पुस्तकों की रचना तथा अनुवाद किया है। सन् 1995 में भारतीय वायु सेना से सेवानिवृत्ति के बाद से ही स्वतंत्र रूप से इस कार्य को कर रहे हैं। उनकी रुचि के क्षेत्र इतिहास, राजनीति विज्ञान तथा व्याकरण हैं। इन तीनों ही क्षेत्रों में उनकी अनेक लोकप्रिय पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्हें शोधपरक पुस्तकों के लिए जाना जाता है। उनकी भाषा आम आदमी से सीधा जुड़ाव करती है; यह गुण उन्हें लोकप्रिय बनाता है। उन्होंने सी.बी.एस.ई. माध्यम विद्यालयों के लिए भी अनेक पुस्तकों की रचना की है। इसके अतिरिक्त उनके लेख समाचार-पत्रों तथा पत्रिकाओं में भी छपते हैं। वे दो ब्लॉग भी चलाते हैं, जिनमें से meerut-amazing.blogspot.in उनके नगर की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के प्रति समर्पित है तथा writerakgandhi. blogspot.in छात्रों की विभिन्न प्रकार से सहायता के लिए है। अपने सामाजिक तथा लेखन कार्य के लिए उन्हें मेरठ सांस्कृतिक मंच द्वारा ‘ज्ञानदीप पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है।


ASIN ‏ : ‎ B08CMNHZQ3
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (9 July 2020)
Language ‏ : ‎ Hindi
File size ‏ : ‎ 632 KB
Text-to-Speech ‏ : ‎ Enabled
Screen Reader ‏ : ‎ Supported
Enhanced typesetting ‏ : ‎ Enabled
Word Wise ‏ : ‎ Not Enabled
Print length ‏ : ‎ 48 pages

Samarth Guru Ramdas: M.I. Rajasvi’s Tribute to a Spiritual Legend (Hindi Edition)

From the Publisher

Samarth Guru Ramdas (Hindi) by M.I. Rajasvi

Samarth Guru Ramdas (Hindi) by M.I. Rajasvi Samarth Guru Ramdas (Hindi) by M.I. Rajasvi

समर्थ गुरु के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में छत्रपति शिवाजी मराठा साम्राज्य की स्थापना एवं उसकी नींव मजबूत करने में सफल रहे।

भारत के सकल समाज के उद्धार में समर्थ गुरु रामदास का महत्त्वपूर्ण योगदान है। समर्थ गुरु ने युवावस्था में ही ख्याति अर्जित कर ली थी। गुरु रामदास ने ऐसे अनेक दुष्कर एवं असंभव लगनेवाले कार्य किए, जिन्हें संपन्न करने के कारण उन्हें ‘समर्थ गुरु’ कहा गया। लंबे समय के बाद समर्थ गुरु की भेंट छत्रपति शिवाजी से हुई। दोनों ने मिलकर स्वराज की स्थापना का बीड़ा उठाया, जिसमें वे सफल रहे। समर्थ गुरु के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में छत्रपति शिवाजी मराठा साम्राज्य की स्थापना एवं उसकी नींव मजबूत करने में सफल रहे। बिना गुरु के ज्ञान नहीं होता है, गुरु ही सच्चा मार्गदर्शक होता है और वह गुरु समर्थ रामदास जैसा हो तो निस्संदेह शिवा का ही जन्म होता है। वह शिवा जो राष्ट्र का गौरव है, रक्षक है, मार्ग-प्रदर्शक है। प्रस्तुत पुस्तक ‘समर्थ गुरु रामदास’ भारतीय जन-समुदाय के लिए अत्यंत पठनीय है।

अनुक्रम

दो शब्द —Pgs 5

1. तत्कालीन भारत —Pgs 9

2. जन्म और बाल्यकाल —Pgs 16

3. गृह-त्याग —Pgs 30

4. साधना-सिद्धि —Pgs 46

5. माँ से पुनर्मिलन —Pgs 61

6. स्वराज्य की तैयारियाँ —Pgs 77

7. शिवाजी और समर्थ रामदास —Pgs 98

8. शिवाजी को दीक्षा —Pgs 107

9. आनंदवन भुवन —Pgs 115

10. महानिर्वाण —Pgs 126

11. समाज के हितार्थ —Pgs 132

12. समर्थ की साहित्य-निधि —Pgs 144

13. समर्थ का दर्शन —Pgs 152

M.I. RajasviM.I. Rajasvi

M.I. Rajasvi

जन्म : 2 जून, 1967 को ग्राम लाँक, जिला शामली, उत्तर प्रदेश में।शिक्षा : स्नातक (उस्मानिया विश्‍वविद्यालय, हैदराबाद)।कृतित्व : ‘हरियाणा हैरिटेज’ में संपादन कार्य किया। दिल्ली के कई प्रतिष्‍ठित प्रकाशन संस्थानों के लिए वैतनिक एवं स्वतंत्र रूप से संपादन-लेखन कार्य; विभिन्न प्रकाशन संस्थानों से अब तक लगभग 65 पुस्तकें प्रकाशित। देश की सामाजिक समस्याओं पर 10 कहानियाँ एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में राजनीतिक-सामाजिक विषयों पर अनेक लेख प्रकाशित।

अन्य प्रसिद्ध कृतियाँ

Samarth Guru Ramdas

Samarth Guru Ramdas

Samartha Guru Ramdas

Samartha Guru Ramdas

Shivaji-Guru Samarth Ramdas

Shivaji-Guru Samarth Ramdas Samarth Guru Ramdas

लंबे समय के बाद समर्थ गुरु की भेंट छत्रपति शिवाजी से हुई। दोनों ने मिलकर स्वराज की स्थापना का बीड़ा उठाया; जिसमें वे सफल रहे। समर्थ गुरु के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में छत्रपति शिवाजी मराठा साम्राज्य की स्थापना एवं उसकी नींव मजबूत करने में सफल रहे। बिना गुरु के ज्ञान नहीं होता है; गुरु ही सच्चा मार्गदर्शक होता है और वह गुरु समर्थ रामदास जैसा हो तो निस्संदेह शिवा का ही जन्म होता है।

Samartha Guru Ramdas

Samartha Guru Ramdas was born in 1606 in village Jamb in Aurangabad district of Maharashtra on the day of Ramnvami. His father; Sri Suryaji Pant; was the worshipper of the sun-god. His mother; Renubai; was a down-to-earth orthodox religious lady. His parents called him ‘Narayan’ in his childhood days.

Shivaji-Guru Samarth Ramdas

जब वे चौबीस वर्ष के थे, तब भारत भ्रमण के लिए निकले; उस समय पूरा उत्तर भारत औरंगजेब के अत्याचारों से त्रस्त था। उन्हें यह एहसास हुआ कि ‘धर्म-संघटन और लोक-संघटन’ होगा तब ही राष्ट्र परतंत्रता से मुकाबला कर सकता है। धर्म-संघटन के लिए ईश्वर संकीर्तन और उसपर श्रद्धा अटूट रखनी होगी; और लोकसंघटन करके लोकशक्ति जाग्रत् करनी होगी। रामदास स्वामी भारत भ्रमण करके महाराष्ट्र पहुँचे तो उन्हें सुखद समाचार मिला। शहाजी राजा तथा जीजाबाई के सुपुत्र शिवाजी ने महाराष्ट्र में दो-चार किले मुसलिमों से जीतकर स्वराज्य का शुभारंभ किया था।

Add to Cart Customer Reviews 4.1 out of 5 stars 20 3.2 out of 5 stars 3 4.1 out of 5 stars 15 Price ₹142.50₹142.50 ₹51.45₹51.45 ₹182.00₹182.00
ASIN ‏ : ‎ B076PLNTT8
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (15 December 2020)
Language ‏ : ‎ Hindi
File size ‏ : ‎ 1205 KB
Text-to-Speech ‏ : ‎ Enabled
Screen Reader ‏ : ‎ Supported
Enhanced typesetting ‏ : ‎ Enabled
Word Wise ‏ : ‎ Not Enabled
Print length ‏ : ‎ 170 pages

Ya Devi Sarvbhuteshu (Hindi Edition)

From the Publisher ya devi sarvabhuteshuya devi sarvabhuteshu ya devi sarvabhuteshuya devi sarvabhuteshu
ASIN ‏ : ‎ B0CLZJX683
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (27 October 2023)
Language ‏ : ‎ Hindi
File size ‏ : ‎ 1551 KB
Text-to-Speech ‏ : ‎ Enabled
Screen Reader ‏ : ‎ Supported
Enhanced typesetting ‏ : ‎ Enabled
Word Wise ‏ : ‎ Not Enabled
Print length ‏ : ‎ 117 pages

Lakshagrah (Krishna Ki Atmakatha Vol. IV): Manu Sharma’s Unraveling of Krishna’s Mirage (Hindi Edition)

From the Publisher

Lakshagrah (Krishna Ki Atmakatha Vol. IV)

Lakshagrah (Krishna Ki Atmakatha Vol. IV)Lakshagrah (Krishna Ki Atmakatha Vol. IV)

कर्म; भक्ति; नैतिकता और जीवन-मूल्यों का व्यावहारिक ज्ञान देनेवाली पुस्तक।

भगवान् श्रीकृष्ण का पृथ्वीलोक पर अवतरण ऐसे समय में हुआ था; जब यहाँ पर अन्याय; अधर्म और अनीति का प्रसार हो रहा था। आसुरी शक्तियाँ प्रभावी हो रही थीं और संतों; ऋषि-मुनियों के साथ-साथ सामान्य जनों का जीवन दूभर हो गया था; यहाँ तक कि स्वयं पृथ्वी भी बढ़ते अत्याचारों से त्राहि-त्राहि कर उठी थी।मैं नियति के तेज वाहन पर सवार था। सबकुछ मुझसे पीछे छूटता जा रहा था। वृंदावन और मथुरा; राधा और कुब्जा-सबकुछ मार्ग के वृक्ष की तरह छूट गए थे। केवल उनकी स्मृतियाँ मेरे मन से लिपटी रह गई थीं। कभी-कभी वर्तमान की धूल उन्हें ऐसा घेर लेती है कि वे उनसे निकल नहीं पाती थीं। मैं अतीत से कटा हुआ केवल वर्तमान का भोक्‍ता रह जाता।माना कि भविष्‍य कुछ नहीं है; वह वर्तमान की कल्पना है; मेरी अकांक्षाओं का चित्र है—और यह वह है; जिसे मैंने अभी तक पाया नहीं है; इसलिए मैं उसे एक आदर्श मानता हूँ। आदर्श कभी पाया नहीं जाता। जब तक मैँ उसके निकट पहुँचता हूँ; हाथ मारता हूँ तब तक हाथ में आने के पहले ही झटककर और आगे चला जाता है। एक लुभावनी मरीचिका के पीछे दौड़ना भर रह जाता है।कृष्‍ण के अनगिनत आयाम हैं। दूसरे उपन्यासों में कृष्‍ण के किसी विशिष्‍ट आयाम को ‌‌ल‌िया गया है। किंतु आठ खंडों में विभक्‍त इस औपन्‍यासिक श्रृंखला ‘कृष्‍ण की आत्मकथा’ में कृष्‍‍ण को उनकी संपूर्णता और समग्रता में उकेरने का सफल प्रयास ‌‌क‌िया गया है। किसी भी भाषा में कृष्‍‍णचरित को लेकर इतने विशाल और प्रशस्‍त कैनवस का प्रयोग नहीं किया है।यथार्थ कहा जाए तो ‘कृष्‍ण की आत्मकथा’ एक उपनिषदीय कृति है। ‘कृष्‍‍ण की आत्मकथा श्रृंखला के आठों ग्रंथ’ नारद की भविष्‍यवाणी दुरभिसंध‌ि द्वारका की स्‍थापना लाक्षागृह खांडव दाह राजसूय यज्ञ संघर्ष प्रलय Customer Reviews 4.5 out of 5 stars 62 4.6 out of 5 stars 87 4.4 out of 5 stars 73 4.3 out of 5 stars 70 4.5 out of 5 stars 132 Price ₹27.49₹27.49 ₹57.82₹57.82 ₹27.49₹27.49 ₹57.82₹57.82 ₹57.82₹57.82
ASIN ‏ : ‎ B07CT1JP7C
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (2 May 2018)
Language ‏ : ‎ Hindi
File size ‏ : ‎ 1425 KB
Text-to-Speech ‏ : ‎ Enabled
Screen Reader ‏ : ‎ Supported
Enhanced typesetting ‏ : ‎ Enabled
Word Wise ‏ : ‎ Not Enabled

Vidur Neeti (Hindi Edition)

From the Publisher Vidur Neeti by Satyaketu Vidur Neeti by Satyaketu

महाभारत हिंदू सभ्यता और संस्कृति का एक पावन धर्मग्रंथ है। इसका आधार अधर्म के साथ धर्म की लड़ाई पर टिका है। इसे पाँचवाँ वेद भी कहा जाता है।

महाभारत में ही समाहित ‘श्रीमद‍्भगवद‍्गीता’ एवं ‘व‌िदुर नीति’ इसके दो आधार-स्तंभ हैं। एक में भगवान् श्रीकृष्ण अधर्म के विरुद्ध अर्जुन को युद्ध के लिए प्रेरित करते हैं तो दूसरे में महात्मा विदुर युद्ध टालने के लिए धृतराष्‍ट्र को अधर्म (दुर्योधन) का साथ छोड़ने के लिए उपदेश करते हैं।

यहाँ श्रीकृष्ण तो अपने उद‍्देश्‍य में सफल हो जाते हैं, लेकिन विदुर के उपदेश धृतराष्‍ट्र का हृदय-परिवर्तन नहीं कर पाते, जिसका परिणाम महाभारत के युद्ध के रूप में सामने आता है। लेकिन इसके लिए हम विदुरजी की नीति को विफल नहीं ठहरा सकते। उनका प्रत्येक उपदेश अनुभूत है और काल की कसौटी पर भलीभाँति जाँचा-परखा है; जैसे कि ‘पाँच लोग छाया की तरह सदा आपके पीछे लगे रहते हैं।

ये पाँच लोग हैं-म‌ित्र, शत्रु, उदासीन, शरण देने वाले और शरणार्थी।’ द्वापर युग की देन ‘व‌िदुर नीति’ आज कलियुग में कहीं अधिक प्रासंगिक है, क्योंकि आज दुनिया में दुर्योधनों की बाढ़ सी आ गई है। अत: इसके उपदेशों से शिक्षा लेकर व्यक्‍ति, समाज, राज्य और देश को सुखी तथा कल्याणकारी बनाया जा सकता है।.

========================================================================================================

अनुक्रम

अपनी बात

महात्मा विदुर

विदुर नीति के कुछ नीति-परक वाक्यांश

1. वैशम्पायन उवाच

2. धृतराष्ट्र उवाच

3. धृतराष्ट्र उवाच

4. विदुर उवाच

5. विदुर उवाच

6. विदुर उवाच

7. धृतराष्ट्र उवाच

8. विदुर उवाच


ASIN ‏ : ‎ B01N48QF15
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (1 January 2012)
Language ‏ : ‎ Hindi
File size ‏ : ‎ 268 KB
Text-to-Speech ‏ : ‎ Enabled
Screen Reader ‏ : ‎ Supported
Enhanced typesetting ‏ : ‎ Enabled
Word Wise ‏ : ‎ Not Enabled
Print length ‏ : ‎ 133 pages

Swami Dayanand Saraswati (Hindi Edition)

From the Publisher

Swami Dayanand Saraswati by Madhur Athaiya

Swami Dayanand Saraswati by Madhur Athaiya Swami Dayanand Saraswati by Madhur Athaiya

समाज के सभी वर्गों के लिए समान रूप से पठनीय धर्मध्जवाहक स्वामी दयानंद सरस्वती की प्रेरणाप्रद जीवनी।

आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती भारत के प्रख्यात समाज सुधारक; चिंतक और देशभक्त थे। वे बचपन में ‘मूलशंकर’ नाम से जाने जाते थे। महर्षि ने सभी धर्मों में व्याप्त बुराइयों का कड़े शब्दों में खंडन किया और अपने महान् ग्रंथ ‘सत्यार्थप्रकाश’ में उनका विश्लेषण किया। बचपन की एक घटना ने उन्हें उद्वेलित कर दिया और ईश-भक्ति से उनका मोह भंग हो गया; जब उन्होंने देखा कि भगवान् पर चढ़ा भोग चूहे खा रहे हैं; पर भगवान् उन्हें भगाने में अक्षम हैं। जीवन-मृत्यु के प्रश्न उन्हें बचपन से ही मथने लगे थे। माता-पिता उनके विवाह की जुगत लगाने लगे तो सन् 1846 में उन्होंने गृह-त्याग किया और स्वामी विरजानंद को अपना गुरु बनाकर वैदिक साहित्य का अध्ययन किया। शिक्षा व सत्यार्थ पाकर उन्होंने अनेक स्थानों की यात्रा की और धर्म में व्याप्त बुराइयों का तार्किक खंडन किया। कहते हैं कि एक रहस्यमय घटनाक्रम में इन महान् समाज-सेवी; दार्शनिक और प्रखर वक्ता को पिसा काँच और विष देकर मार दिया गया।

अनुक्रम

1 प्रारंभिक जीवन

2 सच्चे योगी की खोज में यात्राएँ

3 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम और स्वामी दयानंद

4 गुरु विरजानंद की शरण

5 नवजागरण का सूत्रपात

6 पाखंड-खंडन

7 वैदिक पाठशालाओं की स्थापना

8 आर्य समाज की स्थापना

9 अंतिम चरण की यात्राएँ : विषपान एवं निर्वाण

10 स्वामी दयानंद की वसीयत

11 राष्ट्रवादी एवं लोकतांत्रिक विचार

12 दार्शनिक विचारधारा

13 बंध और मोक्ष

14 स्वामी दयानंद का साहित्य

15 सत्यार्थ प्रकाश : संक्षिप्त परिचय

16 वेदभाष्य

17 पंचमहायज्ञ

18 हिंदी के उन्नायक स्वामी दयानंद

19 स्वामी दयानंद के जीवन के प्रेरक प्रसंग

20 स्वामी दयानंद के विषय में महापुरुषों के विचार

21 स्वामी दयानंद की सूक्तियाँ

Click & buy Customer Reviews — 4.6 out of 5 stars 399 4.5 out of 5 stars 715 4.2 out of 5 stars 20 4.6 out of 5 stars 98 4.5 out of 5 stars 209 Price — ₹118.12₹118.12 ₹61.95₹61.95 — ₹90.25₹90.25 ₹92.57₹92.57
ASIN ‏ : ‎ B07CRPV6WM
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (30 March 2019)
Language ‏ : ‎ Hindi
File size ‏ : ‎ 1061 KB
Text-to-Speech ‏ : ‎ Enabled
Screen Reader ‏ : ‎ Supported
Enhanced typesetting ‏ : ‎ Enabled
Word Wise ‏ : ‎ Not Enabled
Print length ‏ : ‎ 130 pages
WHO ARE YOUR SPIRITUAL PARENTS? TEST | Hindu Deity Edition | The Good Life
03:35

WHO ARE YOUR SPIRITUAL PARENTS? TEST | Hindu Deity Edition | The Good Life

Namaste viewers, Today we bring you a quiz on the HINDU DEITIES. WHO ARE YOUR SPIRITUAL PARENTS? TEST ————————————————————————————————– DON’T FORGET TO LIKE AND SUBSCRIBE TO THE GOOD LIFE. #adidevi #adidev ————————————————————————————————— Let us know your results in the comments. Thank you Shivanisri for this wonderful suggestion. ————————————————————————————————— Music: Beat By Shahed ————————————————————————————————— Love you, […]