Modern India Spectrum 28th Edition Review | UPSC Best Book for History 2022
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Modern India Spectrum 28th Edition Review | UPSC Best Book for History 2022

Modern India Spectrum by Rajiv Ahir sir Latest edition 28 th edition review 2022 best book for upsc history ✔️Contact for Online UPSC Books and notes 📚 —————————————————————————— Link For Buy :- https://raibookshop.com/a-brief-history-of-modern-india-by-spectrum-books.html?search=A%20brie —————————————————————————————————————————————— Contact us for more details Contact Us Ranjeet Rai Contact us for any kind of UPSC study Material Call on : […]

Sampooran Yog: Attaining Complete Yoga and Wellness (Hindi Edition)

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Sampooran Yog by Swami Vivekanand

Sampooran Yog by Swami VivekanandSampooran Yog by Swami Vivekanand

स्वामी विवेकानंद जी की इन ग्रंथो ने युवा को भारतीय संस्कृति और भारतीय इतिहास से परिचय कराया. जिसके बाद सभी युवा पीढ़ी के अन्दर एक नई चेतना उत्पन्न हुई

भारतवर्ष में जितने वेदमतानुयायी दर्शनशास्त्र हैं, उन सबका एक ही लक्ष्य है, और वह है—पूर्णता प्राप्त करके आत्मा को मुक्त कर लेना। इसका उपाय है योग। ‘योग’ शब्द बहुभावव्यापी है। सांख्य और वेदांत उभय मत किसी-न-किसी प्रकार से योग का समर्थन करते हैं।

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Karmayog

कर्म शब्द ‘कृ’ धातु से निकला है; ‘कृ’ धातु का अर्थ है—करना। जो कुछ किया जाता है, वही कर्म है। इस शब्द का पारिभाषिक अर्थ ‘कर्मफल’ भी होता है। दार्शनिक दृष्टि से यदि देखा जाए, तो इसका अर्थ कभी-कभी वे फल होते हैं, जिनका कारण हमारे पूर्व कर्म रहते हैं। परंतु कर्मयोग में कर्म शब्द से हमारा मतलब केवल कार्य ही है।

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Rajyog

राजयोग-विद्या इस सत्य को प्राप्त करने के लिए, मानव के समक्ष यथार्थ, व्यावहारिक और साधनोपयोगी वैज्ञानिक प्रणाली रखने का प्रस्ताव करती है। पहले तो प्रत्येक विद्या के अनुसंधान और साधन की प्रणाली पृथक्-पृथक् है। यदि तुम खगोलशास्त्री होने की इच्छा करो और बैठे-बैठे केवल ‘खगोलशास्त्र खगोलशास्त्र’ कहकर चिल्लाते रहो, तो तुम कभी खगोलशास्त्र के अधिकारी न हो सकोगे। रसायनशास्त्र के संबंध में भी ऐसा ही है; उसमें भी एक निर्दिष्ट प्रणाली का अनुसरण करना होगा; प्रयोगशाला में जाकर विभिन्न द्रव्यादि लेने होंगे, उनको एकत्र करना होगा, उन्हें उचित अनुपात में मिलाना होगा, फिर उनको लेकर उनकी परीक्षा करनी होगी, तब कहीं तुम रसायनविज्ञ हो सकोगे।

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Bhaktiyoga

निष्कपट भाव से ईश्वर की खोज को ‘भक्तियोग’ कहते हैं। इस खोज का आरंभ, मध्य और अंत प्रेम में होता है। ईश्वर के प्रति एक क्षण की भी प्रेमोन्मत्तता हमारे लिए शाश्वत मुक्ति को देनेवाली होती है। ‘भक्तिसूत्र’ में नारदजी कहते हैं, ‘‘भगवान् के प्रति उत्कट प्रेम ही भक्ति है।भक्ति कर्म से श्रेष्ठ है और ज्ञान तथा योग से भी उच्च है, क्योंकि इन सबका एक न एक लक्ष्य है ही, पर भक्ति स्वयं ही साध्य और साधन-स्वरूप है।’’

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Gyanyoga

यह एक सर्वविदित तथ्य है कि एक ईश्वर को पूजनेवाले तथा एक धर्म में विश्वास करनेवाले लोग जिस दृढ़ता और शक्ति से एक-दूसरे का साथ देते हैं, वह एक ही वंश के लोगों की बात ही क्या, भाई-भाई में भी देखने को नहीं मिलता। धर्म के प्रादुर्भाव को समझने के लिए अनेक प्रयास किए गए हैं। अब तक हमें जितने प्राचीन धर्मों का ज्ञान है, वे सब एक यह दावा करते हैं कि वे सभी अलौकिक हैं, मानो उनका उद्भव मानव-मस्तिष्क से नहीं बल्कि उस स्रोत से हुआ है, जो उसके बाहर है।

Bhaktiyoga

Bhaktiyoga

Gyanyoga

Gyanyoga

Karmayog

Karmayog

Rajyog

Rajyog Bhaktiyoga

‘भक्तिसूत्र’ में नारदजी कहते हैं, ‘‘भगवान् के प्रति उत्कट प्रेम ही भक्ति है। जब मनुष्य इसे प्राप्त कर लेता है, तो सभी उसके प्रेमपात्र बन जाते हैं। वह किसी से घृणा नहीं करता; वह सदा के लिए संतुष्ट हो जाता है।

Gyanyoga

मानव-जाति के भाग-निर्माण में जितनी शक्तियों ने योगदान दिया है और दे रही हैं, उन सब में धर्म के रूप में प्रगट होनेवाली शक्ति से अधिक महत्त्वपूर्ण कोई नहीं है। सभी सामाजिक संगठनों के मूल में कहीं-न-कहीं यही अद्भुत शक्ति काम करती रही है ।

Karmayog

कर्म शब्द ‘कृ’ धातु से निकला है; ‘कृ’ धातु का अर्थ है—करना। जो कुछ किया जाता है, वही कर्म है। इस शब्द का पारिभाषिक अर्थ ‘कर्मफल’ भी होता है। जिनका कारण हमारे पूर्व कर्म रहते हैं। परंतु कर्मयोग में कर्म शब्द से हमारा मतलब केवल कार्य ही है। मानवजाति का चरम लक्ष्य ज्ञानलाभ है। प्राच्य दर्शनशास्त्र हमारे सम्मुख एकमात्र यही लक्ष्य रखता है।

Rajyog

राजयोग-विद्या इस सत्य को प्राप्त करने के लिए, मानव के समक्ष यथार्थ, व्यावहारिक और साधनोपयोगी वैज्ञानिक प्रणाली रखने का प्रस्ताव करती है। पहले तो प्रत्येक विद्या के अनुसंधान और साधन की प्रणाली पृथक्-पृथक् है।

SWAMI VIVEKANANDASWAMI VIVEKANANDA

स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता में हुआ था।

इनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ था। इनके पिता श्री विश्‍वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे।इनकी माता श्रीमती भुवनेश्‍वरी देवीजी धामर्क विचारों की महिला थीं। बचपन से ही नरेंद्र अत्यंत कुशाग्र बुद्ध के और नटखट थे। रिवार के धामर्क एवं आध्यात्मक वातावरण के प्रभाव से बालक नरेंद्र के मन में बचपन से ही धमर् एवं अध्यात्म के संस्कार गहरे पड़ गए।पाँच वर्ष की आयु में ही बड़ों की तरह सोचने, व्यवहार करनेवाला तथा अपने विवेक से हर जानकारी की विवेचना करनेवाला यह विलक्षण बालक सदैव अपने आस-पास घटित होनेवाली घटनाओं के बारे में सोचकर स्वयं निष्कर्ष निकालता रहता था। नरेंद्र ने श्रीरामकृष्णदेव को अपना गुरु मान लिया था।उसके बाद एक दिन उन्होंने नरेंद्र को संन्यास की दीक्षा दे दी। उसके बाद गुरु ने अपनी संपूर्ण शक्‍त‌ियाँ अपने नवसंन्यासी शिष्य स्वामी विवेकानंद को सौंप दीं, ताकि वह विश्‍व-कल्याण कर भारत का नाम गौरवान्वत कर सके।4 जुलाई, 1902 को यह महान् तपस्वी अपनी इहलीला समाप्त कर परमात्मा में विलीन हो गया। Customer Reviews Price
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Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (8 August 2020)
Language ‏ : ‎ Hindi
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WHO ARE YOUR SPIRITUAL PARENTS? TEST | Hindu Deity Edition | The Good Life
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WHO ARE YOUR SPIRITUAL PARENTS? TEST | Hindu Deity Edition | The Good Life

Namaste viewers, Today we bring you a quiz on the HINDU DEITIES. WHO ARE YOUR SPIRITUAL PARENTS? TEST ————————————————————————————————– DON’T FORGET TO LIKE AND SUBSCRIBE TO THE GOOD LIFE. #adidevi #adidev ————————————————————————————————— Let us know your results in the comments. Thank you Shivanisri for this wonderful suggestion. ————————————————————————————————— Music: Beat By Shahed ————————————————————————————————— Love you, […]

Bhaktiyoga: Swami Vivekanand’s Path to Devotion and Spirituality (Hindi Edition)

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Bhaktiyoga by Swami Vivekananda

BhaktiyogaBhaktiyoga

निष्कपट भाव से ईश्वर की खोज को 'भक्तियोग' कहते हैं। इस खोज का आरंभ, मध्य और अंत प्रेम में होता है। ... ''भगवान् के प्रति उत्कट प्रेम ही भक्ति है।

जब प्रेम का यह उच्चतम आदर्श प्राप्त हो जाता है, तो ज्ञान फिर न जाने कहाँ चला जाता है। तब भला ज्ञान की इच्छा भी कौन करे? तब तो मुक्ति, उद्धार, निर्वाण की बातें न जाने कहाँ गायब हो जाती हैं। इस दैवी प्रेम में छके रहने से फिर भला कौन मुक्त होना चाहेगा? ''प्रभो! मुझे धन, जन, सौन्दर्य, विद्या, यहाँ तक कि मुक्ति भी नहीं चाहिए। बस इतनी ही साध है कि जन्म जन्म में तुम्हारे प्रति मेरी अहैतुकी भक्ति बनी रहे।'' भक्त कहता है, ''मैं शक्कर हो जाना नहीं चाहता, मुझे तो शक्कर खाना अच्छा लगता है।'' तब भला कौन मुक्त हो जाने की इच्छा करेगा? कौन भगवान के साथ एक हो जाने की कामना करेगा? भक्त कहता है, ''मैं जानता हूँ कि वे और मैं दोनों एक हैं, पर तो भी मैं उनसे अपने को अलग रखकर उन प्रियतम का सम्भोग करूँगा।'' प्रेम के लिए प्रेम - यही भक्त का सर्वोच्च सुख है

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अनुक्रम

प्रार्थनाभक्ति के लक्षणईश्वर का स्वरूपभक्तियोग का ध्येय-प्रत्यक्षानुभूतिगुरु की आवश्यकतागुरु और शिष्य के लक्षणअवतारमंत्रप्रतीक तथा प्रतिमा-उपासनाइष्टनिष्ठाभक्ति के साधनपराभक्ति-त्यागभक्त का वैराग्य-प्रेमजन्यभक्तियोग की स्वाभाविकता और उसका रहस्यभक्ति के अवस्था-भेदसार्वजनीन प्रेमपराविद्या और पराभक्ति दोनों एक हैंप्रेम-त्रिकोणात्मकप्रेममय भगवान् स्वयं अपना प्रमाण हैंदैवी प्रेम की मानवी विवेचनाउपसंहार Swami VivekanandaSwami Vivekananda

स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता में हुआ था।

पाँच वर्ष की आयु में ही बड़ों की तरह सोचने, व्यवहार करनेवाला तथा अपने विवेक से हर जानकारी की विवेचना करनेवाला यह विलक्षण बालक सदैव अपने आस-पास घटित होनेवाली घटनाओं के बारे में सोचकर स्वयं निष्कर्ष निकालता रहता था। नरेंद्र ने श्रीरामकृष्णदेव को अपना गुरु मान लिया था।उसके बाद एक दिन उन्होंने नरेंद्र को संन्यास की दीक्षा दे दी। उसके बाद गुरु ने अपनी संपूर्ण शक्‍त‌ियाँ अपने नवसंन्यासी शिष्य स्वामी विवेकानंद को सौंप दीं, ताकि वह विश्‍व-कल्याण कर भारत का नाम गौरवान्वत कर सके। 4 जुलाई, 1902 को यह महान् तपस्वी अपनी इहलीला समाप्त कर परमात्मा में विलीन हो गया। इनकी माता श्रीमती भुवनेश्‍वरी देवीजी धामर्क विचारों की महिला थीं। बचपन से ही नरेंद्र अत्यंत कुशाग्र बुद्ध के और नटखट थे। इनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ था। इनके पिता श्री विश्‍वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। रिवार के धामर्क एवं आध्यात्मक वातावरण के प्रभाव से बालक नरेंद्र के मन में बचपन से ही धमर् एवं अध्यात्म के संस्कार गहरे पड़ गए। Click & Buy Customer Reviews — 4.6 out of 5 stars 400 4.5 out of 5 stars 715 4.5 out of 5 stars 210 4.5 out of 5 stars 715 4.6 out of 5 stars 99 Price — ₹93.32₹93.32 ₹61.95₹61.95 ₹92.57₹92.57 ₹61.95₹61.95 ₹84.83₹84.83
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Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (1 January 2014)
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DHYAN AUR SIDDHI PRAPTI KAISE KAREIN: Nurturing Meditation and Attainment – Embracing the Path to Meditation and Achievement (Hindi Edition)

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DHYAN AUR SIDDHI PRAPTI KAISE KAREIN (Hindi) by Mahesh Sharma

DHYAN AUR SIDDHI PRAPTI KAISE KAREIN (Hindi) by Mahesh SharmaDHYAN AUR SIDDHI PRAPTI KAISE KAREIN (Hindi) by Mahesh Sharma

ध्यान सिद्धि हमें इस बात का अहसास दिलाती है कि हम आखिर है कौन? तब हमें अपनी अतींद्रिय क्षमताओं का पता चलना शुरू होता है।

ध्यान सिद्धि हमें इस बात का अहसास दिलाती है कि हम आखिर है कौन? तब हमें अपनी अतींद्रिय क्षमताओं का पता चलना शुरू होता है। तब हमारी जीने की धारा बदल जाती है और ये जरूरी नहीं कि ये कहा जाए कि हम आध्यात्मिक हो जाते हैं, आध्यात्मिक हम इसलिए हो जाते हैं, क्योंकि हमें सत्य का ज्ञान हो जाता है। हम सत्य की राह पर चलने लगते है। जो नाशवान है, उससे मुँह मोड़ लेते है और जो नित्य है उसकी तरफ अपना ध्यान रखना शुरू करते है। यही वास्तविक ध्यान सिद्धि है।

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लेखक की प्रसिद्ध कृतियां।

Customer Reviews 5.0 out of 5 stars 1 4.0 out of 5 stars 72 4.1 out of 5 stars 22 4.1 out of 5 stars 36 4.1 out of 5 stars 12 3.8 out of 5 stars 57 Price ₹51.45₹51.45 ₹51.45₹51.45 ₹51.45₹51.45 ₹51.45₹51.45 ₹51.45₹51.45 ₹51.45₹51.45 Mahesh SharmaMahesh Sharma

महेश शर्मा

हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश दत्त शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर।

उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य।

लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य।

भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य।

संप्रति : स्वतंत्र लेखक-पत्रकार।

सम्मान एवं पुरस्कार : मध्य प्रदेश विधानसभा का 'गांधी दर्शन पुरस्कार' (द्वितीय) पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा 'डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार' समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु 'डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान' नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में ‘बुंदेलखंड युवा पुरस्कार' समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा 'लेखक रत्न पुरस्कार'
ASIN ‏ : ‎ B08CXXV93H
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (14 July 2020)
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Guru-Shishya Samvaad (Motivational Books by Swami Vivekanand) (Hindi Edition)

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Swami Vivekanand

Swami VivekanandSwami Vivekanand

गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने एक बार कहा था, “यदि आप भारत को जानना चाहते हैं, तो विवेकानंद को पढ़िए। उनमें आप सबकुछ सकारात्मक ही पाएँगे, नकारात्मक कुछ भी नहीं।”

39 वर्ष के संक्षिप्त जीवनकाल में स्वामी विवेकानंद जो काम कर गए, वे आनेवाली अनेक शताब्दियों तक पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।

उनका विश्वास था कि पवित्र भारतवर्ष धर्म एवं दर्शन की पुण्यभूमि है। यहीं बड़े-बड़े महात्माओं तथा ऋषियों का जन्म हुआ, यहीं संन्यास एवं त्याग की भूमि है तथा यहीं, केवल यहीं आदिकाल से लेकर आज तक मनुष्य के लिए जीवन के सर्वोच्‍च आदर्श एवं मुक्ति का द्वार खुला हुआ है।

उनके कथन—“उठो, जागो, स्वयं जगकर औरों को जगाओ। अपने नर-जन्म को सफल करो और तब तक रुको नहीं, जब तक कि लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।”—पर अमल करके व्यक्ति अपना ही नहीं, सार्वभौमिक कल्याण कर सकता है। यही उनके प्रति हमारी सच्‍ची श्रद्धांजलि होगी।


ASIN ‏ : ‎ B08339JZ3G
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (24 December 2019)
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M Laxmikanth 6th Edition – Chapter – 70 – Role of Regional Parties | Indian Polity by Veer  #UPSC
19:22

M Laxmikanth 6th Edition – Chapter – 70 – Role of Regional Parties | Indian Polity by Veer #UPSC

Study Lover Veer Official App👉 https://openinapp.co/j5dev M Laxmikanth 6th Edition – Indian Polity by Veer – https://youtube.com/playlist?list=PLhNxZA1Rs2iSziPsoJVk5W5umq6PduzOw #MLaxmikanth 6th Edition – Chapter – 70 – Role of Regional Parties | #IndianPolityByVeer #UPSC Presence of a large number of regional parties is an important feature of the Indian Political System. They have come to play a […]

Gita Mein Management Sootra: Leadership Lessons from the Bhagavad Gita by Vinod Malhotra (Hindi Edition)

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Gita Mein Management Sootra By Vinod Malhotra

Gita Mein Management Sootra By Vinod Malhotra Gita Mein Management Sootra By Vinod Malhotra

भारतीय वाङ्मय के महत्त्वपूर्ण ग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता में जिन सिद्धांतों एवं व्यवस्थाओं का उल्लेख किया गया है, वे प्रत्येक दृष्टिकोण से एक विशिष्ट प्रबंधकीय प्रणाली के अनुरूप हैं। अब समय आ गया है कि हम प्रबंधकीय शिक्षा के ढाँचे में आधारभूत परिवर्तन करें और किसी अन्य प्रबंधकीय व्यवस्था के बारे में सोचें, जो मानव जाति एवं व्यावसायिक जगत् के लिए अधिक लाभकारी हो। इस संदर्भ में भगवद्गीता हमें एक रास्ता दिखा सकती है। गीता मुख्य रूप से मनुष्य के व्यक्तिगत विकास, उसके चरित्र-निर्माण और समाज एवं विश्व के साथ उसके संबंधों की विस्तार से समीक्षा करते हुए उसका सही मार्ग प्रशस्त करती है। आवश्यकता इस बात की है कि हम पिछले साठ-सत्तर वर्षों से प्रदत्त की जानेवाली शिक्षा के बारे में पुनर्विचार करें। गीता इस संबंध में एक विकल्प है, जिसके बताए हुए रास्ते पर चलकर वर्तमान प्रबंधकीय प्रणाली में मौलिक परिवर्तन किए जाने की संभावना है। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी श्री विनोद मल्होत्रा ने गीता के ज्ञानसागर में से मैनेजमेंट के कुछ रत्न खोज निकाले हैं। विश्वास है, ये सूत्र न केवल व्यावसायिक जगत् अपितु सामान्यजन के लिए भी समान रूप से उपयोगी होंगे और जीवन जीने का मार्ग आसान बनाएँगे।

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विनोद मल्होत्राविनोद मल्होत्रा

विनोद मल्होत्रा

20 जुलाई, 1949 को जन्म विनोद मल्होत्रा ने शिमला, चंड़ीगढ़ और दिल्ली में शिक्षा प्राप्त की तथा वर्ष 1971 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में पदार्पण किया। संस्कृत भाषा में आपकी गहन रुचि है। बचपन से ही भगवद्गीता एवं संगीत में आपका रुझान रहा है। गीता का गहराई से अध्ययन करते हुए आपने हमेशा इसके ज्ञान को बाँटने, संचित करने व इसके संदेश को फैलाने का प्रयास किया। कुछ ही लोगों ने संगीत की शक्ल में गीता के श्लोकों को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। आपने इस चुनौती को स्वीकार किया और सुर एवं ताल के साथ गीता के अद्वितीय संदेश को प्रस्तुत करने की ठानी और दस विभिन्न रागों में इसका संगीत तैयार किया। विज्ञान एवं अध्यात्म का अनुपम संगम करते हुए श्री मल्होत्रा ने ‘वैश्‍व‌िक ऊर्जा’, ‘जीवन शैली का प्रबंधन’, ‘मृत्यु—एक शाश्‍वत सत्य’ विषयों पर पुस्तकें एवं लेख भी लिखे हैं। आपकी सभी कृतियाँ भारतीय संस्कृति एवं आध्यात्मिक संपदा को सजीव करती हैं। Customer Reviews 4.0 out of 5 stars 6 3.9 out of 5 stars 22 4.2 out of 5 stars 14 4.3 out of 5 stars 16 3.9 out of 5 stars 38 Price ₹118.00₹118.00 ₹197.60₹197.60 ₹186.44₹186.44 ₹118.00₹118.00 ₹70.80₹70.80
ASIN ‏ : ‎ B07VNY16NF
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (1 January 2013)
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Print length ‏ : ‎ 182 pages