Jagadguru Shri Shankaracharya (Hindi Edition)

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ASIN ‏ : ‎ B0722HMJZF
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (1 January 2017)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Main Aryaputra Hoon (Hindi Edition)

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Main Aryaputra Hoon

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ASIN ‏ : ‎ B08FWRDP6R
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (14 August 2020)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Print length ‏ : ‎ 312 pages

VIDHYARTHIYON KE LIYE GITA (Hindi Edition)

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Vidhyarthiyon Ke Liye Gita By Acharya Mayaram ‘Patang’

Vidhyarthiyon Ke Liye Gita By Acharya Mayaram ‘Patang’Vidhyarthiyon Ke Liye Gita By Acharya Mayaram ‘Patang’

अपने-पराए और मित्र-शत्रु के मोह से मुक्त होने का ज्ञान हो जाएगा। अधिकांश लोग सेवानिवृत्त होकर गीता पढ़ते हैं।

‘गीता’ कालजयी ग्रंथ है। यह भक्ति के साथ-साथ कर्म की ओर प्रवृत्त करती है। अपने कर्तव्य-पथ से भटक रहे अर्जुन को श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान देकर ही कर्म-पथ पर प्रवृत्त किया। इसलिए हमारे जीवन में गीता का बहुत व्यावहारिक उपयोग है, महती योगदान है।विद्यार्थी काल में ही गीता का भाव समझ गए तो यह जीवन में पग-पग पर काम आएगा। जीने की कला आ जाएगी। आपत्तियों तथा कष्टकर परिस्थितियों में निराशा नहीं घेरेगी।जब सारा जीवन मोह, लोभ, काम, क्रोध और अहंकार की भेंट चढ़ गया, दुःख और संतापों का ताप सह लिया, तिल-तिल कर मरते रहे, फिर गीता पढ़ी तो क्या लाभ हुआ? पाप और पुण्य कर्मों का फल तो भोगना निश्चित ही हो गया!इस पुस्तक को विशेष रूप से छात्रों-विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। गीता के हर अध्याय में जो महत्त्वपूर्ण श्लोक हैं, जिन्हें स्मरण किया जा सके, गाया जा सके, उन्हें संकलित किया गया है।स्पष्ट है कि यह संपूर्ण गीता नहीं है, बल्कि मात्र प्रेरणा है। इसे पढ़कर छात्र सन्मति पाएँ, नैतिक मूल्यों का पालन करते हुए सन्मार्ग पर चलकर जीवन में सफलता के शिखर पर पहुँचें, यही इस पुस्तक के लेखन का उद्देश्य है।विद्यार्थियों के चरित्र-निर्माण तथा कर्तव्य-पथ पर सतत चलने की प्रेरणा देनेवाली एक अनुपम पुस्तक।

***

अनुक्रम

अपनी बात

श्रीमद्भगवद्गीता की पृष्ठभूमि

अध्याय-1 युद्धक्षेत्र में दुःखी अर्जुन

अध्याय-2 आत्मा का ज्ञान

अध्याय-3 कर्म का मर्म

अध्याय-4 संसार के ज्ञान से अलग है दिव्य ज्ञान

अध्याय-5 कर्म से शांति और आनंद-प्राप्ति

अध्याय-6 ध्यान कैसे करें?

अध्याय-7 भगवद् ज्ञान का विज्ञान

अध्याय-8 भगवद्-प्राप्ति का साधन

अध्याय-9 राज विद्या का रहस्य

अध्याय-10 श्री भगवान् का ऐश्वर्य जानो

अध्याय-11 भगवान् का विराट् रूप में दर्शन

अध्याय-12 भक्ति से भगवान् मिलते हैं

अध्याय-13 क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ कौन है?

अध्याय-14 तीन गुणों से बनी हुई सृष्टि

अध्याय-15 श्रीकृष्ण भगवान् ही पुरुषोत्तम हैं

अध्याय-16 दैवी और दानवी संपत्ति का विभाजन

अध्याय-17 तीन प्रकार की श्रद्धा कौन सी है?

अध्याय-18 संन्यासयोग से मोक्ष प्राप्ति

Acharya Mayaram ‘Patang’Acharya Mayaram ‘Patang’

आचार्य मायाराम ‘पतंग’

जन्म : 26 जनवरी, 1940; ग्राम-नवादा, डाक गुलावठी, जिला बुलंदशहर।शिक्षा : एम.ए. (दिल्ली), प्रभाकर, साहित्य रत्न, साहित्याचार्य, शिक्षा शास्त्री।रचना-संसार : ‘गीत रसीले’, ‘गीत सुरीले’, ‘चहकीं चिडि़या’ (कविता); ‘अच्छे बच्चे सीधे बच्चे’, ‘व्यवहार में निखार’, ‘चरित्र निर्माण’, ‘सदाचार सोपान’, ‘पढ़ै सो ज्ञानी होय’, ‘सदाचार सोपान’ (नैतिक शिक्षा); ‘व्याकरण रचना’ (चार भाग), ‘ऑस्कर व्याकरण भारती’ (आठ भाग), ‘भाषा माधुरी प्राथमिक’ (छह भाग), ‘बच्चे कैसे हों?’, ‘शिक्षक कैसे हों?’, ‘अभिभावक कैसे हों?’ (शिक्षण साहित्य); ‘पढ़ैं नर-नार, मिटे अंधियार’ (गद्य); ‘श्रीराम नाम महिमा’, ‘मिलन’ (खंड काव्य); ‘सरस्वती वंदना शतक’, ‘हमारे विद्यालय उत्सव’, ‘श्रेष्ठ विद्यालय गीत’, ‘चुने हुए विद्यालय गीत’ (संपादित); ‘गीतमाला’, ‘आओ, हम पढ़ें-लिखें’, ‘गुंजन’, ‘उद्गम’, ‘तीन सौ गीत’, ‘कविता बोलती है’ (गीत संकलन); ‘एकता-अखंडता की कहानियाँ’, ‘राष्ट्रप्रेम की कहानियाँ’, ‘विद्यार्थियों के लिए गीता’ एवं ‘आल्हा-ऊदल की वीरगाथा’। Customer Reviews 4.0 out of 5 stars 6 4.3 out of 5 stars 8 3.9 out of 5 stars 22 4.2 out of 5 stars 14 3.9 out of 5 stars 38 Price ₹118.00₹118.00 ₹188.10₹188.10 ₹197.60₹197.60 ₹123.50₹123.50 ₹70.80₹70.80
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Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (17 November 2017)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Mahatma Buddha Ki Kahaniyan (Hindi Edition)

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Mahatma Buddha Ki Kahaniyan by Bharat Lal Sharma

Mahatma Buddha Ki Kahaniyan by Bharat Lal SharmaMahatma Buddha Ki Kahaniyan by Bharat Lal Sharma

इस संकलन में संकलित अहिंसा, सदाचार, परोपकार और मानवीय मूल्यों को बतानेवाली रोचक-प्रेरक कहानियों का पठनीय संकलन।.

गौतम बुद्ध (जन्म 563 ईसा पूर्व – निर्वाण 483 ईसा पूर्व) एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ।इनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं, जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए।सिद्धार्थ ने गुरु विश्वामित्र के पास वेद और उपनिषद्‌ को तो पढ़ा ही , राजकाज और युद्ध-विद्या की भी शिक्षा ली। कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान, रथ हाँकने में कोई उसकी बराबरी नहीं कर पाता। सोलह वर्ष की उम्र में सिद्धार्थ का कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ। पिता द्वारा ऋतुओं के अनुरूप बनाए गए वैभवशाली और समस्त भोगों से युक्त महल में वे यशोधरा के साथ रहने लगे जहाँ उनके पुत्र राहुल का जन्म हुआ। लेकिन विवाह के बाद उनका मन वैराग्य में चला और सम्यक सुख-शांति के लिए उन्होंने अपने परिवार का त्याग कर दिया।महात्मा बुद्ध ने नश्वर संसार के ताप-कष्टों को दूर करने तथा जीवन का रहस्य जानने के लिए गृहत्याग किया और लंबे समय तक काया-कष्ट सहकर ज्ञान प्राप्त किया; उन्हें जीव-जगत् का बोध हुआ, इसलिए वे ‘बौद्ध’ कहलाए। उन्होंने मानवता को अहिंसा का उपदेश दिया। कोई गूढ़ या ज्ञान की बात कितनी भी सरल भाषा में कही जाए, तो भी संपूर्ण समझ में नहीं आ पाती है; लेकिन उसे कहानी का रूप दे दिया जाए तो वह सहज ही हमेशा के लिए याद हो जाती है। महात्मा बुद्ध की ये कहानियाँ ऐसी ही हैं। इसमें उनके जीवन की घटनाओं तथा शिक्षाओं को सीधी-सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से बताया गया है। ये छोटी-छोटी कहानियाँ अपने आप में अलग-अलग हैं और एक-दूसरी से जुड़ी हुई भी। लेकिन फिर भी कथा- रस से भरपूर हैं। Click & Buy Customer Reviews — 3.9 out of 5 stars 8 4.3 out of 5 stars 212 4.1 out of 5 stars 126 4.1 out of 5 stars 10 4.3 out of 5 stars 144 Price — ₹51.45₹51.45 ₹137.75₹137.75 ₹141.60₹141.60 ₹59.06₹59.06 ₹148.33₹148.33
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Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (9 May 2018)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Dwarka Ki Sthapana (Krishna Ki Atmakatha Vol. III): Manu Sharma’s Chronicle of Dwarka’s Founding (Hindi Edition)

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Dwarka Ki Sthapana (Krishna Ki Atmakatha Vol. III)

Dwarka Ki Sthapana (Krishna Ki Atmakatha Vol. III)Dwarka Ki Sthapana (Krishna Ki Atmakatha Vol. III)

कर्म; भक्ति; नैतिकता और जीवन-मूल्यों का व्यावहारिक ज्ञान देनेवाली पुस्तक।

भगवान् श्रीकृष्ण का पृथ्वीलोक पर अवतरण ऐसे समय में हुआ था; जब यहाँ पर अन्याय; अधर्म और अनीति का प्रसार हो रहा था। आसुरी शक्तियाँ प्रभावी हो रही थीं और संतों; ऋषि-मुनियों के साथ-साथ सामान्य जनों का जीवन दूभर हो गया था; यहाँ तक कि स्वयं पृथ्वी भी बढ़ते अत्याचारों से त्राहि-त्राहि कर उठी थी।मैंने जीवन भर कभी तर्क में विश्‍वास नहीं किया; क्योंकि तर्क अपने विरुद्ध स्वयं खड़ा हो जाता है। वह मानव बुद्धि का परम चतुर किंतु आदर्शहीन शिशु है। उसका जन्म भी उस समय हुआ था जब सत्य और झूठ की पहली लड़ाई हुई थी। तब से वह झूठ का ही प्रवक्‍ता रहा है। कभी-कभी वह सत्य के पक्ष में भी खड़ा हो जाता है। केवल इसलिए कि वह सत्य से प्रतिष्‍ठा पाता है और झूठ से जीवन रस।वस्तुत: सत्य को उसकी आवश्यकता भी नहीं है; सत्य तो स्‍वयं भाष‌ित है; स्वयं प्रमाण है। कभी-कभी वह बादलों के घेरे में आ जाता है; तब हम उसे छिपता हुआ देखते हैं। वास्तव में यह हमारा दृष्‍ट‌ि भ्रम है। बादलों के छँटते ही उसकी ज्योति अपने स्‍थान पर स्वतः चमकती दिखाई देने लगती है। कृष्‍ण के अनगिनत आयाम हैं। दूसरे उपन्यासों में कृष्‍ण के किसी विशिष्‍ट आयाम को ‌‌ल‌िया गया है। किंतु आठ खंडों में विभक्‍त इस औपन्‍यासिक श्रृंखला ‘कृष्‍ण की आत्मकथा’ में कृष्‍‍ण को उनकी संपूर्णता और समग्रता में उकेरने का सफल प्रयास ‌‌क‌िया गया है। किसी भी भाषा में कृष्‍‍णचरित को लेकर इतने विशाल और प्रशस्‍त कैनवस का प्रयोग नहीं किया है।यथार्थ कहा जाए तो ‘कृष्‍ण की आत्मकथा’ एक उपनिषदीय कृति है। ‘कृष्‍‍ण की आत्मकथा श्रृंखला के आठों ग्रंथ’ नारद की भविष्‍यवाणी दुरभिसंध‌ि द्वारका की स्‍थापना लाक्षागृह खांडव दाह राजसूय यज्ञ संघर्ष प्रलय Customer Reviews 4.5 out of 5 stars 62 4.6 out of 5 stars 86 4.4 out of 5 stars 73 4.3 out of 5 stars 70 4.5 out of 5 stars 132 Price ₹27.49₹27.49 ₹29.50₹29.50 ₹27.49₹27.49 ₹29.50₹29.50 ₹29.50₹29.50
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Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (27 February 2021)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Sunderkand (Hindi Edition)

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Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (23 May 2022)
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