Old Indian Legends (AmazonClassics Edition)


ASIN ‏ : ‎ B09ZB6J22P
Publisher ‏ : ‎ AmazonClassics (24 May 2022)
Language ‏ : ‎ English
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Print length ‏ : ‎ 75 pages
Page numbers source ISBN ‏ : ‎ B09HQH8Q33

Devi-Devtaon ki Kahaniyan: Timeless Myths and Legends of Hindu Mythology (Hindi Edition)

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Devi-Devtaon ke Rahasya by Devdutt Pattnaik

Devi-Devtaon ki KahaniyanDevi-Devtaon ki Kahaniyan

हिंदुओं की आस्था के केंद्रबिंदु देवी-देवताओं के चित्रों के माध्यम से धार्मिक नवजागरण का मार्ग प्रशस्त करती एक पठनीय पुस्तक।

हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की बहुत मान्यता है। घर-घर में अनेक देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना अपूर्व श्रद्धा; आस्था; प्रेम और विधि-विधान से की जाती है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता भी है कि इन देवी-देवताओं की संख्या करोड़ों में है। इनके प्रति असीम भक्ति और मान्यताओं ने ही इनकी अनेक कथाओं को जन्म दिया। रामायण; गीता; उपनिषद आदि अनेक ग्रंथ और पुराणों में इन्हीं वंदनीय देवी-देवताओं की रोचक एवं मनोरंजक कथाएँ प्रचलित हैं। प्रस्तुत पुस्तक पुराणों तथा अन्य हिंदू वाङ्मय-गं्रथों से चुनी गई ऐसी श्रेष्ठ कथाओं का संग्रह है; जो अनेक देवी-देवताओं के रहस्यमयी जीवन की घटनाओं को उजागर करती हैं। अपने धर्म के प्रति आस्था जाग्रत् करने और इष्टदेवी-देवताओं के प्रति भक्ति में तल्लीन होने का संदेश देती पठनीय पुस्तक।

अनुक्रम

अपनी बातसमुद्र—मंथन की कथाइंद्र और नमुचि की कथागायों की मुक्तिमधु-विद्या का रहस्यअगस्त ऋषि का शापत्रिपुरासुर संहार कथादरिद्रता का कोपकालयवन वधशिव की महिमाभगवान विष्णु की आराधनाभक्ति की सामर्थ्यमायापति की मायाशंकर के अंशभक्त की पुकारभगवान कृष्ण की मायासूर्य देव का विवाहमहिषासुर की कथाशिव का वरदानमाँ दुर्गा की कथा

भगवान विष्णु

भगवान विष्णु

चक्रवर्ती सम्राट

चक्रवर्ती सम्राट

महर्षि

महर्षि देवेंद्र ने उनसे कहा, “हे अंतर्यामी! आपसे कुछ छुपा नहीं है

भगवान विष्णु कुछ देर मौन रहे, फिर बोले, “मेरी बात ध्यान से सुनो, तभी तुम्हारा कल्याण सुनिश्चित है। तुम्हारे शत्रुओं ने तुम पर विजय प्राप्त कर ली है, इसलिए अभी तुम्हें उनके साथ संधि कर लेनी चाहिए।”

“परंतु देव, हम संधि कैसे करें?” देवेंद्र बोले, “असुर तो हर अवसर पर हमारी दशा से लाभ उठाते हैं। वे हमसे बुरा व्यवहार करते हैं।”

“समय पड़ने पर चूहे और साँप में भी मैत्री हो जाती है।” भगवान विष्णु ने कहा, “इसलिए इस समय असुरों से मित्रता कर लेना ही तुम्हारे हित में है।”

“किंतु भगवन्! हम उनके पास जाने से डरते हैं।” इंद्र बोले।

“तभी तो मैं कहता हूँ कि पहले उनसे संधि करो, उसके बाद समुद्र-मंथन कर अमृत प्राप्त करने का प्रयत्न करो।” भगवान विष्णु ने कहा, “तुम अमृत प्राप्त करने में उन्हीं असुरों की सहायता लो। एक बार यदि तुम लोग अमृत पी लोगे तो फिर तुम्हें उनसे कोई भय नहीं रहेगा।”

"इंद्रलोक का राजकाज चलाने के लिए किसी समर्थ, योग्य और अनुभवी राजा को ही इस पद पर बैठाया जाए।

सबकी सहमति होने पर नहुष को इंद्र की पदवी देकर इंद्रासन सौंप दिया गया। नहुष ने बड़ी कुशलता से राज-काज सँभाल लिया। इंद्रलोक का वैभव देखकर उन्होंने सोचा कि ऐसा सुख और वैभव भूलोक के राजाओं को कहाँ। सचमुच इंद्र होना कितने वैभव और संपदा का स्वामी होना होता है। इसके आगे तो मेरे भूलोक का राज एक दरिद्र का राज लगता है।

इंद्रलोक की चकाचौंध में नहुष अपने कर्त्तव्य पर उतना ध्यान न देकर सुख-वैभव भोगने के बारे में ज्यादा सोचने लगे। उन्होंने यह नहीं सोचा कि वे अस्थायी रूप से इंद्र-पद पर बैठाए गए हैं, बल्कि वे अब अपने को सचमुच का इंद्र समझने लगे। जब वे इंद्र बन गए तो इंद्राणी भी उनकी होनी चाहिए, ऐसा विचार उनके मन में पैदा हुआ।

दरिद्रता के इस अभिशाप ने समाज में उनका सम्मान भी नष्ट कर दिया है।

महर्षि ने क्षुधा की पीड़ा उसके नेत्रों में देखी। भूख के मारे उसके नेत्र अंदर गड़ गए थे। उन्होंने एक दृष्टि उसकी काया पर डाली। पेट पीठ से लग गया था, कँधे झुक गए थे। चलने-फिरने की शक्ति समाप्त हो गई थी। भूख-प्यास ने सब कुछ नष्ट कर दिया था।

ऋषि ने यह अनुभव किया कि दरिद्रता के भय से साथियों ने मुख मोड़ लिया है। पक्षियों ने आश्रम त्याग दिया है। अब कहीं भी उसका कलरव सुनाई नहीं देता। आश्रम के सभी पशु-पक्षी भी धीरे-धीरे उनसे किनारा कर गए हैं। किंतु अग्नि को साक्षी मानकर साथ रहने की प्रतिज्ञा करने वाली पत्नी ने उनका साथ नहीं छोड़ा।

Customer Reviews 3.9 out of 5 stars 24 4.3 out of 5 stars 1,645 4.2 out of 5 stars 55 — 3.4 out of 5 stars 4 Price ₹110.00₹110.00 ₹61.95₹61.95 ₹135.95₹135.95 — ₹62.54₹62.54
ASIN ‏ : ‎ B07654LLGP
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (1 February 2021)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Dwarka Ki Sthapana (Krishna Ki Atmakatha Vol. III): Manu Sharma’s Chronicle of Dwarka’s Founding (Hindi Edition)

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Dwarka Ki Sthapana (Krishna Ki Atmakatha Vol. III)

Dwarka Ki Sthapana (Krishna Ki Atmakatha Vol. III)Dwarka Ki Sthapana (Krishna Ki Atmakatha Vol. III)

कर्म; भक्ति; नैतिकता और जीवन-मूल्यों का व्यावहारिक ज्ञान देनेवाली पुस्तक।

भगवान् श्रीकृष्ण का पृथ्वीलोक पर अवतरण ऐसे समय में हुआ था; जब यहाँ पर अन्याय; अधर्म और अनीति का प्रसार हो रहा था। आसुरी शक्तियाँ प्रभावी हो रही थीं और संतों; ऋषि-मुनियों के साथ-साथ सामान्य जनों का जीवन दूभर हो गया था; यहाँ तक कि स्वयं पृथ्वी भी बढ़ते अत्याचारों से त्राहि-त्राहि कर उठी थी।मैंने जीवन भर कभी तर्क में विश्‍वास नहीं किया; क्योंकि तर्क अपने विरुद्ध स्वयं खड़ा हो जाता है। वह मानव बुद्धि का परम चतुर किंतु आदर्शहीन शिशु है। उसका जन्म भी उस समय हुआ था जब सत्य और झूठ की पहली लड़ाई हुई थी। तब से वह झूठ का ही प्रवक्‍ता रहा है। कभी-कभी वह सत्य के पक्ष में भी खड़ा हो जाता है। केवल इसलिए कि वह सत्य से प्रतिष्‍ठा पाता है और झूठ से जीवन रस।वस्तुत: सत्य को उसकी आवश्यकता भी नहीं है; सत्य तो स्‍वयं भाष‌ित है; स्वयं प्रमाण है। कभी-कभी वह बादलों के घेरे में आ जाता है; तब हम उसे छिपता हुआ देखते हैं। वास्तव में यह हमारा दृष्‍ट‌ि भ्रम है। बादलों के छँटते ही उसकी ज्योति अपने स्‍थान पर स्वतः चमकती दिखाई देने लगती है। कृष्‍ण के अनगिनत आयाम हैं। दूसरे उपन्यासों में कृष्‍ण के किसी विशिष्‍ट आयाम को ‌‌ल‌िया गया है। किंतु आठ खंडों में विभक्‍त इस औपन्‍यासिक श्रृंखला ‘कृष्‍ण की आत्मकथा’ में कृष्‍‍ण को उनकी संपूर्णता और समग्रता में उकेरने का सफल प्रयास ‌‌क‌िया गया है। किसी भी भाषा में कृष्‍‍णचरित को लेकर इतने विशाल और प्रशस्‍त कैनवस का प्रयोग नहीं किया है।यथार्थ कहा जाए तो ‘कृष्‍ण की आत्मकथा’ एक उपनिषदीय कृति है। ‘कृष्‍‍ण की आत्मकथा श्रृंखला के आठों ग्रंथ’ नारद की भविष्‍यवाणी दुरभिसंध‌ि द्वारका की स्‍थापना लाक्षागृह खांडव दाह राजसूय यज्ञ संघर्ष प्रलय Customer Reviews 4.5 out of 5 stars 62 4.6 out of 5 stars 86 4.4 out of 5 stars 73 4.3 out of 5 stars 70 4.5 out of 5 stars 132 Price ₹27.49₹27.49 ₹29.50₹29.50 ₹27.49₹27.49 ₹29.50₹29.50 ₹29.50₹29.50
ASIN ‏ : ‎ B07CSVWFH3
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (27 February 2021)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Mahatma Buddha Ki Kahaniyan (Hindi Edition)

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Mahatma Buddha Ki Kahaniyan by Bharat Lal Sharma

Mahatma Buddha Ki Kahaniyan by Bharat Lal SharmaMahatma Buddha Ki Kahaniyan by Bharat Lal Sharma

इस संकलन में संकलित अहिंसा, सदाचार, परोपकार और मानवीय मूल्यों को बतानेवाली रोचक-प्रेरक कहानियों का पठनीय संकलन।.

गौतम बुद्ध (जन्म 563 ईसा पूर्व – निर्वाण 483 ईसा पूर्व) एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ।इनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं, जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए।सिद्धार्थ ने गुरु विश्वामित्र के पास वेद और उपनिषद्‌ को तो पढ़ा ही , राजकाज और युद्ध-विद्या की भी शिक्षा ली। कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान, रथ हाँकने में कोई उसकी बराबरी नहीं कर पाता। सोलह वर्ष की उम्र में सिद्धार्थ का कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ। पिता द्वारा ऋतुओं के अनुरूप बनाए गए वैभवशाली और समस्त भोगों से युक्त महल में वे यशोधरा के साथ रहने लगे जहाँ उनके पुत्र राहुल का जन्म हुआ। लेकिन विवाह के बाद उनका मन वैराग्य में चला और सम्यक सुख-शांति के लिए उन्होंने अपने परिवार का त्याग कर दिया।महात्मा बुद्ध ने नश्वर संसार के ताप-कष्टों को दूर करने तथा जीवन का रहस्य जानने के लिए गृहत्याग किया और लंबे समय तक काया-कष्ट सहकर ज्ञान प्राप्त किया; उन्हें जीव-जगत् का बोध हुआ, इसलिए वे ‘बौद्ध’ कहलाए। उन्होंने मानवता को अहिंसा का उपदेश दिया। कोई गूढ़ या ज्ञान की बात कितनी भी सरल भाषा में कही जाए, तो भी संपूर्ण समझ में नहीं आ पाती है; लेकिन उसे कहानी का रूप दे दिया जाए तो वह सहज ही हमेशा के लिए याद हो जाती है। महात्मा बुद्ध की ये कहानियाँ ऐसी ही हैं। इसमें उनके जीवन की घटनाओं तथा शिक्षाओं को सीधी-सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से बताया गया है। ये छोटी-छोटी कहानियाँ अपने आप में अलग-अलग हैं और एक-दूसरी से जुड़ी हुई भी। लेकिन फिर भी कथा- रस से भरपूर हैं। Click & Buy Customer Reviews — 3.9 out of 5 stars 8 4.3 out of 5 stars 212 4.1 out of 5 stars 126 4.1 out of 5 stars 10 4.3 out of 5 stars 144 Price — ₹51.45₹51.45 ₹137.75₹137.75 ₹141.60₹141.60 ₹59.06₹59.06 ₹148.33₹148.33
ASIN ‏ : ‎ B07CRDRPRD
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (9 May 2018)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Print length ‏ : ‎ 176 pages

VIDHYARTHIYON KE LIYE GITA (Hindi Edition)

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Vidhyarthiyon Ke Liye Gita By Acharya Mayaram ‘Patang’

Vidhyarthiyon Ke Liye Gita By Acharya Mayaram ‘Patang’Vidhyarthiyon Ke Liye Gita By Acharya Mayaram ‘Patang’

अपने-पराए और मित्र-शत्रु के मोह से मुक्त होने का ज्ञान हो जाएगा। अधिकांश लोग सेवानिवृत्त होकर गीता पढ़ते हैं।

‘गीता’ कालजयी ग्रंथ है। यह भक्ति के साथ-साथ कर्म की ओर प्रवृत्त करती है। अपने कर्तव्य-पथ से भटक रहे अर्जुन को श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान देकर ही कर्म-पथ पर प्रवृत्त किया। इसलिए हमारे जीवन में गीता का बहुत व्यावहारिक उपयोग है, महती योगदान है।विद्यार्थी काल में ही गीता का भाव समझ गए तो यह जीवन में पग-पग पर काम आएगा। जीने की कला आ जाएगी। आपत्तियों तथा कष्टकर परिस्थितियों में निराशा नहीं घेरेगी।जब सारा जीवन मोह, लोभ, काम, क्रोध और अहंकार की भेंट चढ़ गया, दुःख और संतापों का ताप सह लिया, तिल-तिल कर मरते रहे, फिर गीता पढ़ी तो क्या लाभ हुआ? पाप और पुण्य कर्मों का फल तो भोगना निश्चित ही हो गया!इस पुस्तक को विशेष रूप से छात्रों-विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। गीता के हर अध्याय में जो महत्त्वपूर्ण श्लोक हैं, जिन्हें स्मरण किया जा सके, गाया जा सके, उन्हें संकलित किया गया है।स्पष्ट है कि यह संपूर्ण गीता नहीं है, बल्कि मात्र प्रेरणा है। इसे पढ़कर छात्र सन्मति पाएँ, नैतिक मूल्यों का पालन करते हुए सन्मार्ग पर चलकर जीवन में सफलता के शिखर पर पहुँचें, यही इस पुस्तक के लेखन का उद्देश्य है।विद्यार्थियों के चरित्र-निर्माण तथा कर्तव्य-पथ पर सतत चलने की प्रेरणा देनेवाली एक अनुपम पुस्तक।

***

अनुक्रम

अपनी बात

श्रीमद्भगवद्गीता की पृष्ठभूमि

अध्याय-1 युद्धक्षेत्र में दुःखी अर्जुन

अध्याय-2 आत्मा का ज्ञान

अध्याय-3 कर्म का मर्म

अध्याय-4 संसार के ज्ञान से अलग है दिव्य ज्ञान

अध्याय-5 कर्म से शांति और आनंद-प्राप्ति

अध्याय-6 ध्यान कैसे करें?

अध्याय-7 भगवद् ज्ञान का विज्ञान

अध्याय-8 भगवद्-प्राप्ति का साधन

अध्याय-9 राज विद्या का रहस्य

अध्याय-10 श्री भगवान् का ऐश्वर्य जानो

अध्याय-11 भगवान् का विराट् रूप में दर्शन

अध्याय-12 भक्ति से भगवान् मिलते हैं

अध्याय-13 क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ कौन है?

अध्याय-14 तीन गुणों से बनी हुई सृष्टि

अध्याय-15 श्रीकृष्ण भगवान् ही पुरुषोत्तम हैं

अध्याय-16 दैवी और दानवी संपत्ति का विभाजन

अध्याय-17 तीन प्रकार की श्रद्धा कौन सी है?

अध्याय-18 संन्यासयोग से मोक्ष प्राप्ति

Acharya Mayaram ‘Patang’Acharya Mayaram ‘Patang’

आचार्य मायाराम ‘पतंग’

जन्म : 26 जनवरी, 1940; ग्राम-नवादा, डाक गुलावठी, जिला बुलंदशहर।शिक्षा : एम.ए. (दिल्ली), प्रभाकर, साहित्य रत्न, साहित्याचार्य, शिक्षा शास्त्री।रचना-संसार : ‘गीत रसीले’, ‘गीत सुरीले’, ‘चहकीं चिडि़या’ (कविता); ‘अच्छे बच्चे सीधे बच्चे’, ‘व्यवहार में निखार’, ‘चरित्र निर्माण’, ‘सदाचार सोपान’, ‘पढ़ै सो ज्ञानी होय’, ‘सदाचार सोपान’ (नैतिक शिक्षा); ‘व्याकरण रचना’ (चार भाग), ‘ऑस्कर व्याकरण भारती’ (आठ भाग), ‘भाषा माधुरी प्राथमिक’ (छह भाग), ‘बच्चे कैसे हों?’, ‘शिक्षक कैसे हों?’, ‘अभिभावक कैसे हों?’ (शिक्षण साहित्य); ‘पढ़ैं नर-नार, मिटे अंधियार’ (गद्य); ‘श्रीराम नाम महिमा’, ‘मिलन’ (खंड काव्य); ‘सरस्वती वंदना शतक’, ‘हमारे विद्यालय उत्सव’, ‘श्रेष्ठ विद्यालय गीत’, ‘चुने हुए विद्यालय गीत’ (संपादित); ‘गीतमाला’, ‘आओ, हम पढ़ें-लिखें’, ‘गुंजन’, ‘उद्गम’, ‘तीन सौ गीत’, ‘कविता बोलती है’ (गीत संकलन); ‘एकता-अखंडता की कहानियाँ’, ‘राष्ट्रप्रेम की कहानियाँ’, ‘विद्यार्थियों के लिए गीता’ एवं ‘आल्हा-ऊदल की वीरगाथा’। Customer Reviews 4.0 out of 5 stars 6 4.3 out of 5 stars 8 3.9 out of 5 stars 22 4.2 out of 5 stars 14 3.9 out of 5 stars 38 Price ₹118.00₹118.00 ₹188.10₹188.10 ₹197.60₹197.60 ₹123.50₹123.50 ₹70.80₹70.80
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Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (17 November 2017)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Saat Chiranjeevi (Hindi Edition)

From the Publisher Saat ChiranjeeviSaat Chiranjeevi Saat ChiranjeeviSaat Chiranjeevi
ASIN ‏ : ‎ B07Q5GQR5T
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (6 January 2020)
Language ‏ : ‎ Hindi
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The Arabian Nights (AmazonClassics Edition)


ASIN ‏ : ‎ B073WVHZGL
Publisher ‏ : ‎ AmazonClassics (5 September 2017)
Language ‏ : ‎ English
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Print length ‏ : ‎ 272 pages

Main Aryaputra Hoon (Hindi Edition)

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Main Aryaputra Hoon

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ASIN ‏ : ‎ B08FWRDP6R
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (14 August 2020)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Print length ‏ : ‎ 312 pages