Will Canada Become ‘Another India’? | Exploring the Influence of the Indian Diaspora | UPSC
Exploring Hindu Pantheon
Hindu Devi Devta: Exploring the Mythology of Hindu Gods and Goddesses by Kk Tripathi (Hindi Edition)
Hindu Devi Devta by Kk Tripathi
हिंदुओं की आस्था के केंद्रबिंदु देवी-देवताओं के चित्रों के माध्यम से धार्मिक नवजागरण का मार्ग प्रशस्त करती एक पठनीय पुस्तक।
सभी की जिज्ञासा रहती है कि क्या वाकई में हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं जिनकी देश के सभी हिंदू अपने-अपने मतानुसार पूजा करते हैं
हिंदू देवी-देवताओं के नयनाभिराम और सुंदर चित्र भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं तथा उनमें आस्था एवं भक्तिभाव की अजस्र धारा प्रवाहित कर देते हैं। पर कम ही लोग इन चित्रों में प्रदर्शित विभिन्न स्वरूपों के बारे में ज्ञान रखते हैं।
इसमें बताया गया है—
गणेश सभी बाधाओं को दूर करनेवाले देवता हैं।
शेर पर सवार चामुंडा प्रकृति पर अपने प्रभुत्व का संकेत करती है।
अपनी हथेली को उठाकर देवी अपने भक्तों से कहती हैं कि डरने की जरूरत नहीं है।
गणेश का एक टूटा हुआ दाँत संयम का प्रतीक है।
भू-देवी, यानी गाय के रूप में पृथ्वी लक्ष्मी का दूसरा रूप है।
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Customer Reviews 3.9 out of 5 stars 24 4.3 out of 5 stars 1,660 4.2 out of 5 stars 55 — 3.4 out of 5 stars 4 Price ₹194.82₹194.82 ₹61.95₹61.95 ₹156.94₹156.94 — ₹123.90₹123.90ASIN : B01M7VCZ9G
Publisher : Prabhat Prakashan (15 February 2020)
Language : Hindi
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Print length : 160 pages
Hinduism is not a Religion – What is Hinduism? Exploring the Culture, Philosophy, and Spirituality
The Life and Times of Swami Vivekananda by Nandini Saraf: Exploring the Legacy of Swami Vivekananda
The Life and Times of Swami Vivekananda by Nandini Saraf
This book tries to cover the life and philosophy of Swami Vivekananda comprehensively and give an insight about his personality.
Swami Vivekananda philosophy was a blend of the traditional values and modern thoughts, as well as human values and superhuman thoughts. Although he lived only for thirty-nine years, he influenced the thinking of multitudes around the world. His charismatic personality and intellectual speeches made an impact that altered people’s concept of Hinduism and India globally. Even today, his teachings are capable of transforming all who are keen to imbibe them. Vivekananda was born when Calcutta was India’s capital under the British Raj. It was a time when the British Raj sought to change the governing system of India after the Mutiny of 1857. Swami Vivekananda preferred a modern approach to deal with the existing social problems and favoured Western ideas.
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Nandini Saraf
Born in 14th August, 1986 and a freelance writer, currently assisting her father in his Export Business. She was born in Calcutta where she did her schooling from Birla High School (Girls’ Section) and then went on to pursue Bachelors in English (Hons) under Calcutta University. She completed her Masters in Journalism from Symbiosis Institute of Media and Communication, Pune, in April 2011. During her 2-year Master's Programme, she also interned in The Telegraph, Calcutta, Madhubun Educational Books, Calcutta, and Macmillan India Limited, Calcutta.
Click & Buy Customer Reviews — 4.6 out of 5 stars 378 4.5 out of 5 stars 96 4.7 out of 5 stars 477 4.6 out of 5 stars 1,019 Price — ₹34.22₹34.22 ₹61.95₹61.95 ₹51.45₹51.45 ₹51.45₹51.45ASIN : B01F22B8ME
Publisher : Prabhat Prakashan (3 May 2016)
Language : English
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Print length : 152 pages
Exploring Professions through Vedic Astrology (Volume 3)
ASIN : B0C7N5DJXN
Publisher : Motilal Banarsidass Publishing House; 1st edition (9 June 2023)
Language : English
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Print length : 138 pages
Exploring Professions through Vedic Astrology (Volume 2)
ASIN : B0C7N5W4DG
Publisher : Motilal Banarsidass Publishing House; 1st edition (9 June 2023)
Language : English
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Print length : 178 pages
Sanatan Sanskriti Ka Mahaparva Simhastha: Exploring the Grand Festival of Sanatan Culture (Hindi Edition)
SANATAN SANSKRITI KA MAHAPARVA SIMHASTHA (Hindi) by SIDDHARTHA SHANKAR GAUTAM
गौतम बुद्ध ने नदियों के तट पर आयोजित कुंभ पर्व को ‘नदी पर्व’ कहा है।
आधुनिक कुंभ पर्व का धार्मिक रूप से प्रचार-प्रसार आदिगुरु शंकराचार्य ने किया था। उन्होंने पर्व की शुरुआत धार्मिक मान्यताओं को बढ़ावा देने और हिंदुओं को अपनी सनातन संस्कृति की पहचान दिलाने के उद्देश्य से की थी। आज भी कुंभ पर्व मुख्यतः साधु-संत समाज का ही पर्व माना जाता है। वस्तुतः कुंभ पर्व सनातन है। अग्नि पुराण, गरुड़ पुराण, वराह पुराण, कूर्म पुराण, वामन पुराण, मत्स्य पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, पद्म पुराण, शिव पुराण, विष्णु पुराण, स्कंद पुराण, लिंग पुराण, हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, महाभारत, वाल्मीकि रामायण तथा अन्य प्राचीन ग्रंथों, जैसे ऋग्वेद, अथर्ववेद, शतपथ ब्राह्मण में वर्णित आख्यानों से कुंभ पर्व की प्राचीनता का अनुमान लगाया जा सकता है। गौतम बुद्ध ने नदियों के तट पर आयोजित कुंभ पर्व को ‘नदी पर्व’ कहा है।विष्णु पुराण के अनुसार—‘‘हजारों स्नान कार्तिक में, सैकड़ों स्नान माघ मास में किए हों तथा करोड़ों बार वैशाख में नर्मदा स्नान से जो पुण्य प्राप्त होता है, वही पुण्य एक बार कुंभ पर्व में स्नान करने से प्राप्त होता है।’’ —इसी पुस्तक से
अनुक्रम
आत्मकथ्य
मंगलाचरण : जो इनकी शरण आया! — डॉ. सोमदत्त गौतम
खंड-1
1. मैं उज्जैन हूँ
2. मेरी पौराणिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
3. अद्भुत है मेरी धरा
4. कलकल बहती मोक्षदायिनी शिप्रा
5. प्रमुख मंदिर जिनसे अमर है मेरा वैभव
6. न्याय की धरा भी हूँ मैं
7. अमृत की एक बूँद ने धन्य किया मुझे
Siddhartha Shankar Gautam
जन्म : 2 फरवरी, 1986, महरौनी, जिला-ललितपुर (उ.प्र.)।शिक्षा : एम.ए. (जनसंचार)।संप्रति : पत्रकारिता। देश के विभिन्न समाचार-पत्रों में 750 से अधिक लेखों का प्रकाशन।पूर्व प्रकाशित पुस्तकें : ‘वैचारिक द्वंद्व’, ‘लोकतंत्र का प्रधान सेवक’ एवं ‘राष्ट्रभावना का जाग्रत् प्रहरी संघ।
अन्य प्रसिद्ध कृतियां।
Sanatan Sanskriti Ka Mahaparva Simhastha
वस्तुतः कुंभ पर्व सनातन है। अग्नि पुराण; गरुड़ पुराण; वराह पुराण; कूर्म पुराण; वामन पुराण; मत्स्य पुराण; ब्रह्मवैवर्त पुराण; पद्म पुराण; शिव पुराण; विष्णु पुराण; स्कंद पुराण; लिंग पुराण; हरिवंश पुराण; श्रीमद्भागवत; महाभारत; वाल्मीकि रामायण तथा अन्य प्राचीन ग्रंथों; जैसे ऋग्वेद; अथर्ववेद; शतपथ ब्राह्मण में वर्णित आख्यानों से कुंभ पर्व की प्राचीनता का अनुमान लगाया जा सकता है।
Vishwa Dharohar Mahakumbhभारतीयों के प्रत्येक पर्व और त्योहार की नींव किसी ठोस वैज्ञानिक और तार्किक आधार पर रखी गई है। इन सभी पर्वों और त्योहारों की जड़ में कुछ-न-कुछ वैज्ञानिक रहस्य अवश्य होता है, जो आत्मशुद्धि और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभदायक होता है।
Prayagraj Kumbh-Kathaतीर्थराज प्रयाग में कुंभपर्व पर आनेवाले शंकराचार्यों; महंतों; मठाधीशों; साधु; संतों; स्नानार्थियों और कल्पवासियों की परंपरा; उनकी दिनचर्या और उनके आकर्षक आयोजनों का दर्शनीय वर्णन भी प्रस्तुत पुस्तक के प्रकाशन में प्रमुख रूप से प्रतिपाद्य बनाने का प्रयास किया गया है। महाकुंभ पर एक संपूर्ण पुस्तक।
KUMBH AASTHA KA PRATEEKहर बारह वर्ष बाद देश के विभिन्न स्थलों पर शंकराचार्यों के नेतृत्व में हमारे मनीषी देश की नीति और नियम को तय कर समाज संचालित करते थे। ये नियम सनातन परंपरा को अक्षुण्ण रखने के साथ-साथ समय की माँग के अनुसार भी बनते थे। आज मानव समाज के सामने जो समस्याएँ चुनौती बनकर खड़ी हैं; उनमें आतंकवाद; भ्रष्टाचार; हिंसा और देशद्रोह के समान मानव को जर्जर कर देनेवाली समस्या है पर्यावरण प्रदूषण।
click & buy Customer Reviews 4.5 out of 5 stars 2 5.0 out of 5 stars 1 5.0 out of 5 stars 2 5.0 out of 5 stars 2 — Price ₹97.94₹97.94 ₹156.94₹156.94 ₹162.45₹162.45 ₹51.45₹51.45 —ASIN : B078GSZ93H
Publisher : Prabhat Prakashan (18 December 2017)
Language : Hindi
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Print length : 179 pages