Main Shabari Hoon Ram Ki (Hindi Edition)

From the Publisher 97893909230389789390923038 Urvashi Agrawal ‘Urvi’Urvashi Agrawal ‘Urvi’

Urvashi Agrawal ‘Urvi’

उर्वशी अग्रवाल 'उर्वी'

बाल्यकाल से ही कविताएँ लिखने में विशेष रुचि। समय के साथ-साथ ग़ज़लें लिखने का भी अनुभव। महिला विषयों, विशेषकर उनकी विभिन्न भावनाओं को कविताओं, ग़ज़लों, दोहों और चौपाइयों के माध्यम से प्रस्तुत करती हैं। हिंदी के अतिरिक्त सरैकी भाषा में भी काव्य सृजन। आकाशवाणी द्वारा आयोजित हिंदी व सरैकी के कई काव्य प्रसारणों व कविता पाठ में सम्मलित हुई हैं। अनेक टी.वी. चैनलों के कार्यक्रमों में कविताएँ व ग़ज़लें प्रस्तुत की हैं। अब तक लगभग एक हज़ार हिंदी कविताओं व पाँच सौ ग़ज़लों का सृजन। पाँच कविता व ग़ज़ल-संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होने वाले हैं, जिनमें प्रमुख हैं खण्डकाव्य ‘व्यथा कहे पंचाली’ व दोहा संग्रह ‘मैं शबरी हूँ राम की’। दिल्ली व उसके आप-पास होने वाले कवि सम्मेलनों एवं मुशायरों में सक्रिय भागीदारी।काव्य मंच संचालन में सिद्धहस्त एवं कई सफल कवि सम्मेलनों, काव्य गोष्ठियों का संचालन कर चुकी हैं। Add to Cart Add to Cart Add to Cart Add to Cart Customer Reviews 4.3 out of 5 stars 514 5.0 out of 5 stars 4 — — — 4.6 out of 5 stars 28 Price ₹200.00₹200.00 ₹225.00₹225.00 ₹279.00₹279.00 ₹51.45₹51.45 ₹51.45₹51.45 ₹116.00₹116.00 Other recommanded books click & buy click & buy click & buy click & buy click & buy click & buy

Main Shabari Hoon Ram Ki by Urvashi Agrawal ‘Urvi’

Main Shabari Hoon Ram KiMain Shabari Hoon Ram Ki

श्री रामचरितमानस के इस अत्यंत महत्त्वपूर्ण पात्र को अपने भीतर और अपने आस-पास तलाश करने का प्रयास करें।

97893909230389789390923038
ASIN ‏ : ‎ B09M4D97YJ
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (17 November 2021)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Main Buddha Bol Raha Hoon (Hindi)

From the Publisher

Main Buddha Bol Raha Hoon by ED. ANITA GAUR

Main Buddha Bol Raha Hoon by ED. ANITA GAURMain Buddha Bol Raha Hoon by ED. ANITA GAUR

महात्मा बुद्ध के विचारों का यह ज्ञान-पुंज आपके जीवन को सद‍्‍व‌िचारों, सकारात्मकता से भर देगा और जीवन के प्रति आपकी सोच, आपकी दृष्‍टि को नया आयाम देगा।

गौतम बुद्ध (जन्म 563 ईसा पूर्व – निर्वाण 483 ईसा पूर्व) एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ।इनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं, जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए।सिद्धार्थ ने गुरु विश्वामित्र के पास वेद और उपनिषद्‌ को तो पढ़ा ही , राजकाज और युद्ध-विद्या की भी शिक्षा ली। कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान, रथ हाँकने में कोई उसकी बराबरी नहीं कर पाता। सोलह वर्ष की उम्र में सिद्धार्थ का कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ। पिता द्वारा ऋतुओं के अनुरूप बनाए गए वैभवशाली और समस्त भोगों से युक्त महल में वे यशोधरा के साथ रहने लगे जहाँ उनके पुत्र राहुल का जन्म हुआ। लेकिन विवाह के बाद उनका मन वैराग्य में चला और सम्यक सुख-शांति के लिए उन्होंने अपने परिवार का त्याग कर दिया।बुद्ध के प्रथम गुरु आलार कलाम थे,जिनसे उन्होंने संन्यास काल में शिक्षा प्राप्त की। ३५ वर्ष की आयु में वैशाखी पूर्णिमा के दिन सिद्धार्थ पीपल वृक्ष के नीचे ध्यानस्थ थे। बुद्ध ने बोधगया में निरंजना नदी के तट पर कठोर तपस्या की तथा सुजाता नामक लड़की के हाथों खीर खाकर उपवास तोड़ा। समीपवर्ती गाँव की एक स्त्री सुजाता को पुत्र हुआ।वह बेटे के लिए एक पीपल वृक्ष से मन्नत पूरी करने के लिए सोने के थाल में गाय के दूध की खीर भरकर पहुँची। सिद्धार्थ वहाँ बैठा ध्यान कर रहा था। उसे लगा कि वृक्षदेवता ही मानो पूजा लेने के लिए शरीर धरकर बैठे हैं। सुजाता ने बड़े आदर से सिद्धार्थ को खीर भेंट की और कहा- ‘जैसे मेरी मनोकामना पूरी हुई, उसी तरह आपकी भी हो।’ उसी रात को ध्यान लगाने पर सिद्धार्थ की साधना सफल हुई। उसे सच्चा बोध हुआ। तभी से सिद्धार्थ 'बुद्ध' कहलाए। जिस पीपल वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ को बोध मिला वह बोधिवृक्ष कहलाया और गया का समीपवर्ती वह स्थान बोधगया।

अनुक्रम

जीवन परिचय

मैं बुद्ध बोल रहा हूँ

Click & Buy Customer Reviews — 4.0 out of 5 stars 9 4.2 out of 5 stars 214 4.1 out of 5 stars 126 4.1 out of 5 stars 10 4.3 out of 5 stars 147 Price — ₹51.45₹51.45 ₹165.30₹165.30 ₹171.00₹171.00 ₹59.06₹59.06 ₹148.33₹148.33
ASIN ‏ : ‎ B01M5EAS6N
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (1 January 2013)
Language ‏ : ‎ Hindi
File size ‏ : ‎ 831 KB
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Print length ‏ : ‎ 115 pages

Main Sri Sri Ravi Shankar Bol Raha Hoon (Hindi)


ASIN ‏ : ‎ B01M9GEX02
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (1 January 2013)
Language ‏ : ‎ Hindi
File size ‏ : ‎ 1644 KB
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Print length ‏ : ‎ 224 pages
#krishna Ka #sandesh : ‘Main Hi Bhagvan Hoon  #trendingshorts #spritualjourney #devote #hindudeity
01:00

#krishna Ka #sandesh : ‘Main Hi Bhagvan Hoon #trendingshorts #spritualjourney #devote #hindudeity

Delve into the profound declaration of Lord Krishna from the Bhagavad Gita where he reveals, “I am the God.” Explore the spiritual significance of this statement and how it emphasizes the omnipresence and divinity of Krishna. Perfect for those seeking to understand the deeper meanings of Krishna’s teachings and his divine role in Hindu philosophy. […]

Main J. Krishnamurti Bol Raha Hoon (Hindi Edition)

From the Publisher 97893526687179789352668717 97893526687179789352668717 97893526687179789352668717
ASIN ‏ : ‎ B07D17HQDY
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (1 February 2021)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Print length ‏ : ‎ 119 pages

Main Ramvanshi Hoon (Hindi Edition)

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ASIN ‏ : ‎ B0C1RZCK13
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (7 April 2023)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Print length ‏ : ‎ 353 pages

Main Aryaputra Hoon (Hindi Edition)

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Main Aryaputra Hoon

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ASIN ‏ : ‎ B08FWRDP6R
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (14 August 2020)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Print length ‏ : ‎ 312 pages