Hanumanji Ke Jeevan Ki Kahaniyan (Hindi Edition)


ASIN ‏ : ‎ B07NJV6D8X
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (30 April 2019)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Bauddha Dharma Ki Kahaniyan (Hindi)

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Bauddha Dharma Ki Kahaniyan by Mozej Michael

Bauddha Dharma Ki Kahaniyan by Mozej Michael Bauddha Dharma Ki Kahaniyan by Mozej Michael

इस संकलन में संकलित अहिंसा, सदाचार, परोपकार और मानवीय मूल्यों को बतानेवाली रोचक-प्रेरक कहानियों का पठनीय संकलन।.

गौतम बुद्ध (जन्म 563 ईसा पूर्व – निर्वाण 483 ईसा पूर्व) एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ।इनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं, जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए।सिद्धार्थ ने गुरु विश्वामित्र के पास वेद और उपनिषद्‌ को तो पढ़ा ही , राजकाज और युद्ध-विद्या की भी शिक्षा ली। कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान, रथ हाँकने में कोई उसकी बराबरी नहीं कर पाता। सोलह वर्ष की उम्र में सिद्धार्थ का कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ। पिता द्वारा ऋतुओं के अनुरूप बनाए गए वैभवशाली और समस्त भोगों से युक्त महल में वे यशोधरा के साथ रहने लगे जहाँ उनके पुत्र राहुल का जन्म हुआ। लेकिन विवाह के बाद उनका मन वैराग्य में चला और सम्यक सुख-शांति के लिए उन्होंने अपने परिवार का त्याग कर दिया।महात्मा बुद्ध ने नश्वर संसार के ताप-कष्टों को दूर करने तथा जीवन का रहस्य जानने के लिए गृहत्याग किया और लंबे समय तक काया-कष्ट सहकर ज्ञान प्राप्त किया; उन्हें जीव-जगत् का बोध हुआ, इसलिए वे ‘बौद्ध’ कहलाए। उन्होंने मानवता को अहिंसा का उपदेश दिया। कोई गूढ़ या ज्ञान की बात कितनी भी सरल भाषा में कही जाए, तो भी संपूर्ण समझ में नहीं आ पाती है; लेकिन उसे कहानी का रूप दे दिया जाए तो वह सहज ही हमेशा के लिए याद हो जाती है। महात्मा बुद्ध की ये कहानियाँ ऐसी ही हैं। इसमें उनके जीवन की घटनाओं तथा शिक्षाओं को सीधी-सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से बताया गया है। ये छोटी-छोटी कहानियाँ अपने आप में अलग-अलग हैं और एक-दूसरी से जुड़ी हुई भी। लेकिन फिर भी कथा- रस से भरपूर हैं। Click & Buy Customer Reviews — 4.0 out of 5 stars 9 4.3 out of 5 stars 213 4.1 out of 5 stars 126 4.1 out of 5 stars 10 4.3 out of 5 stars 147 Price — ₹51.45₹51.45 ₹152.95₹152.95 ₹168.15₹168.15 ₹59.06₹59.06 ₹148.33₹148.33
ASIN ‏ : ‎ B01MG658UG
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (1 January 2012)
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Mahatma Buddha Ki Kahaniyan (Hindi Edition)

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Mahatma Buddha Ki Kahaniyan by Bharat Lal Sharma

Mahatma Buddha Ki Kahaniyan by Bharat Lal SharmaMahatma Buddha Ki Kahaniyan by Bharat Lal Sharma

इस संकलन में संकलित अहिंसा, सदाचार, परोपकार और मानवीय मूल्यों को बतानेवाली रोचक-प्रेरक कहानियों का पठनीय संकलन।.

गौतम बुद्ध (जन्म 563 ईसा पूर्व – निर्वाण 483 ईसा पूर्व) एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ।इनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं, जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए।सिद्धार्थ ने गुरु विश्वामित्र के पास वेद और उपनिषद्‌ को तो पढ़ा ही , राजकाज और युद्ध-विद्या की भी शिक्षा ली। कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान, रथ हाँकने में कोई उसकी बराबरी नहीं कर पाता। सोलह वर्ष की उम्र में सिद्धार्थ का कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ। पिता द्वारा ऋतुओं के अनुरूप बनाए गए वैभवशाली और समस्त भोगों से युक्त महल में वे यशोधरा के साथ रहने लगे जहाँ उनके पुत्र राहुल का जन्म हुआ। लेकिन विवाह के बाद उनका मन वैराग्य में चला और सम्यक सुख-शांति के लिए उन्होंने अपने परिवार का त्याग कर दिया।महात्मा बुद्ध ने नश्वर संसार के ताप-कष्टों को दूर करने तथा जीवन का रहस्य जानने के लिए गृहत्याग किया और लंबे समय तक काया-कष्ट सहकर ज्ञान प्राप्त किया; उन्हें जीव-जगत् का बोध हुआ, इसलिए वे ‘बौद्ध’ कहलाए। उन्होंने मानवता को अहिंसा का उपदेश दिया। कोई गूढ़ या ज्ञान की बात कितनी भी सरल भाषा में कही जाए, तो भी संपूर्ण समझ में नहीं आ पाती है; लेकिन उसे कहानी का रूप दे दिया जाए तो वह सहज ही हमेशा के लिए याद हो जाती है। महात्मा बुद्ध की ये कहानियाँ ऐसी ही हैं। इसमें उनके जीवन की घटनाओं तथा शिक्षाओं को सीधी-सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से बताया गया है। ये छोटी-छोटी कहानियाँ अपने आप में अलग-अलग हैं और एक-दूसरी से जुड़ी हुई भी। लेकिन फिर भी कथा- रस से भरपूर हैं। Click & Buy Customer Reviews — 3.9 out of 5 stars 8 4.3 out of 5 stars 212 4.1 out of 5 stars 126 4.1 out of 5 stars 10 4.3 out of 5 stars 144 Price — ₹51.45₹51.45 ₹137.75₹137.75 ₹141.60₹141.60 ₹59.06₹59.06 ₹148.33₹148.33
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Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (9 May 2018)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Devi-Devtaon ki Kahaniyan: Timeless Myths and Legends of Hindu Mythology (Hindi Edition)

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Devi-Devtaon ke Rahasya by Devdutt Pattnaik

Devi-Devtaon ki KahaniyanDevi-Devtaon ki Kahaniyan

हिंदुओं की आस्था के केंद्रबिंदु देवी-देवताओं के चित्रों के माध्यम से धार्मिक नवजागरण का मार्ग प्रशस्त करती एक पठनीय पुस्तक।

हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की बहुत मान्यता है। घर-घर में अनेक देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना अपूर्व श्रद्धा; आस्था; प्रेम और विधि-विधान से की जाती है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता भी है कि इन देवी-देवताओं की संख्या करोड़ों में है। इनके प्रति असीम भक्ति और मान्यताओं ने ही इनकी अनेक कथाओं को जन्म दिया। रामायण; गीता; उपनिषद आदि अनेक ग्रंथ और पुराणों में इन्हीं वंदनीय देवी-देवताओं की रोचक एवं मनोरंजक कथाएँ प्रचलित हैं। प्रस्तुत पुस्तक पुराणों तथा अन्य हिंदू वाङ्मय-गं्रथों से चुनी गई ऐसी श्रेष्ठ कथाओं का संग्रह है; जो अनेक देवी-देवताओं के रहस्यमयी जीवन की घटनाओं को उजागर करती हैं। अपने धर्म के प्रति आस्था जाग्रत् करने और इष्टदेवी-देवताओं के प्रति भक्ति में तल्लीन होने का संदेश देती पठनीय पुस्तक।

अनुक्रम

अपनी बातसमुद्र—मंथन की कथाइंद्र और नमुचि की कथागायों की मुक्तिमधु-विद्या का रहस्यअगस्त ऋषि का शापत्रिपुरासुर संहार कथादरिद्रता का कोपकालयवन वधशिव की महिमाभगवान विष्णु की आराधनाभक्ति की सामर्थ्यमायापति की मायाशंकर के अंशभक्त की पुकारभगवान कृष्ण की मायासूर्य देव का विवाहमहिषासुर की कथाशिव का वरदानमाँ दुर्गा की कथा

भगवान विष्णु

भगवान विष्णु

चक्रवर्ती सम्राट

चक्रवर्ती सम्राट

महर्षि

महर्षि देवेंद्र ने उनसे कहा, “हे अंतर्यामी! आपसे कुछ छुपा नहीं है

भगवान विष्णु कुछ देर मौन रहे, फिर बोले, “मेरी बात ध्यान से सुनो, तभी तुम्हारा कल्याण सुनिश्चित है। तुम्हारे शत्रुओं ने तुम पर विजय प्राप्त कर ली है, इसलिए अभी तुम्हें उनके साथ संधि कर लेनी चाहिए।”

“परंतु देव, हम संधि कैसे करें?” देवेंद्र बोले, “असुर तो हर अवसर पर हमारी दशा से लाभ उठाते हैं। वे हमसे बुरा व्यवहार करते हैं।”

“समय पड़ने पर चूहे और साँप में भी मैत्री हो जाती है।” भगवान विष्णु ने कहा, “इसलिए इस समय असुरों से मित्रता कर लेना ही तुम्हारे हित में है।”

“किंतु भगवन्! हम उनके पास जाने से डरते हैं।” इंद्र बोले।

“तभी तो मैं कहता हूँ कि पहले उनसे संधि करो, उसके बाद समुद्र-मंथन कर अमृत प्राप्त करने का प्रयत्न करो।” भगवान विष्णु ने कहा, “तुम अमृत प्राप्त करने में उन्हीं असुरों की सहायता लो। एक बार यदि तुम लोग अमृत पी लोगे तो फिर तुम्हें उनसे कोई भय नहीं रहेगा।”

"इंद्रलोक का राजकाज चलाने के लिए किसी समर्थ, योग्य और अनुभवी राजा को ही इस पद पर बैठाया जाए।

सबकी सहमति होने पर नहुष को इंद्र की पदवी देकर इंद्रासन सौंप दिया गया। नहुष ने बड़ी कुशलता से राज-काज सँभाल लिया। इंद्रलोक का वैभव देखकर उन्होंने सोचा कि ऐसा सुख और वैभव भूलोक के राजाओं को कहाँ। सचमुच इंद्र होना कितने वैभव और संपदा का स्वामी होना होता है। इसके आगे तो मेरे भूलोक का राज एक दरिद्र का राज लगता है।

इंद्रलोक की चकाचौंध में नहुष अपने कर्त्तव्य पर उतना ध्यान न देकर सुख-वैभव भोगने के बारे में ज्यादा सोचने लगे। उन्होंने यह नहीं सोचा कि वे अस्थायी रूप से इंद्र-पद पर बैठाए गए हैं, बल्कि वे अब अपने को सचमुच का इंद्र समझने लगे। जब वे इंद्र बन गए तो इंद्राणी भी उनकी होनी चाहिए, ऐसा विचार उनके मन में पैदा हुआ।

दरिद्रता के इस अभिशाप ने समाज में उनका सम्मान भी नष्ट कर दिया है।

महर्षि ने क्षुधा की पीड़ा उसके नेत्रों में देखी। भूख के मारे उसके नेत्र अंदर गड़ गए थे। उन्होंने एक दृष्टि उसकी काया पर डाली। पेट पीठ से लग गया था, कँधे झुक गए थे। चलने-फिरने की शक्ति समाप्त हो गई थी। भूख-प्यास ने सब कुछ नष्ट कर दिया था।

ऋषि ने यह अनुभव किया कि दरिद्रता के भय से साथियों ने मुख मोड़ लिया है। पक्षियों ने आश्रम त्याग दिया है। अब कहीं भी उसका कलरव सुनाई नहीं देता। आश्रम के सभी पशु-पक्षी भी धीरे-धीरे उनसे किनारा कर गए हैं। किंतु अग्नि को साक्षी मानकर साथ रहने की प्रतिज्ञा करने वाली पत्नी ने उनका साथ नहीं छोड़ा।

Customer Reviews 3.9 out of 5 stars 24 4.3 out of 5 stars 1,645 4.2 out of 5 stars 55 — 3.4 out of 5 stars 4 Price ₹110.00₹110.00 ₹61.95₹61.95 ₹135.95₹135.95 — ₹62.54₹62.54
ASIN ‏ : ‎ B07654LLGP
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (1 February 2021)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Print length ‏ : ‎ 72 pages