The Legend of Parshu-Raam
ASIN : B06X6FPGB7
Publisher : Penguin Metro Reads (16 December 2015)
Language : English
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Living Stories: Storytelling Traditions of India (Full Movie)
Samarth Guru Ramdas: M.I. Rajasvi’s Tribute to a Spiritual Legend (Hindi Edition)
Samarth Guru Ramdas (Hindi) by M.I. Rajasvi
समर्थ गुरु के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में छत्रपति शिवाजी मराठा साम्राज्य की स्थापना एवं उसकी नींव मजबूत करने में सफल रहे।
भारत के सकल समाज के उद्धार में समर्थ गुरु रामदास का महत्त्वपूर्ण योगदान है। समर्थ गुरु ने युवावस्था में ही ख्याति अर्जित कर ली थी। गुरु रामदास ने ऐसे अनेक दुष्कर एवं असंभव लगनेवाले कार्य किए, जिन्हें संपन्न करने के कारण उन्हें ‘समर्थ गुरु’ कहा गया। लंबे समय के बाद समर्थ गुरु की भेंट छत्रपति शिवाजी से हुई। दोनों ने मिलकर स्वराज की स्थापना का बीड़ा उठाया, जिसमें वे सफल रहे। समर्थ गुरु के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में छत्रपति शिवाजी मराठा साम्राज्य की स्थापना एवं उसकी नींव मजबूत करने में सफल रहे। बिना गुरु के ज्ञान नहीं होता है, गुरु ही सच्चा मार्गदर्शक होता है और वह गुरु समर्थ रामदास जैसा हो तो निस्संदेह शिवा का ही जन्म होता है। वह शिवा जो राष्ट्र का गौरव है, रक्षक है, मार्ग-प्रदर्शक है। प्रस्तुत पुस्तक ‘समर्थ गुरु रामदास’ भारतीय जन-समुदाय के लिए अत्यंत पठनीय है।
अनुक्रम
दो शब्द —Pgs 5
1. तत्कालीन भारत —Pgs 9
2. जन्म और बाल्यकाल —Pgs 16
3. गृह-त्याग —Pgs 30
4. साधना-सिद्धि —Pgs 46
5. माँ से पुनर्मिलन —Pgs 61
6. स्वराज्य की तैयारियाँ —Pgs 77
7. शिवाजी और समर्थ रामदास —Pgs 98
8. शिवाजी को दीक्षा —Pgs 107
9. आनंदवन भुवन —Pgs 115
10. महानिर्वाण —Pgs 126
11. समाज के हितार्थ —Pgs 132
12. समर्थ की साहित्य-निधि —Pgs 144
13. समर्थ का दर्शन —Pgs 152
M.I. Rajasvi
जन्म : 2 जून, 1967 को ग्राम लाँक, जिला शामली, उत्तर प्रदेश में।शिक्षा : स्नातक (उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद)।कृतित्व : ‘हरियाणा हैरिटेज’ में संपादन कार्य किया। दिल्ली के कई प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थानों के लिए वैतनिक एवं स्वतंत्र रूप से संपादन-लेखन कार्य; विभिन्न प्रकाशन संस्थानों से अब तक लगभग 65 पुस्तकें प्रकाशित। देश की सामाजिक समस्याओं पर 10 कहानियाँ एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में राजनीतिक-सामाजिक विषयों पर अनेक लेख प्रकाशित।
अन्य प्रसिद्ध कृतियाँ
Samarth Guru Ramdas
लंबे समय के बाद समर्थ गुरु की भेंट छत्रपति शिवाजी से हुई। दोनों ने मिलकर स्वराज की स्थापना का बीड़ा उठाया; जिसमें वे सफल रहे। समर्थ गुरु के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में छत्रपति शिवाजी मराठा साम्राज्य की स्थापना एवं उसकी नींव मजबूत करने में सफल रहे। बिना गुरु के ज्ञान नहीं होता है; गुरु ही सच्चा मार्गदर्शक होता है और वह गुरु समर्थ रामदास जैसा हो तो निस्संदेह शिवा का ही जन्म होता है।
Samartha Guru RamdasSamartha Guru Ramdas was born in 1606 in village Jamb in Aurangabad district of Maharashtra on the day of Ramnvami. His father; Sri Suryaji Pant; was the worshipper of the sun-god. His mother; Renubai; was a down-to-earth orthodox religious lady. His parents called him ‘Narayan’ in his childhood days.
Shivaji-Guru Samarth Ramdasजब वे चौबीस वर्ष के थे, तब भारत भ्रमण के लिए निकले; उस समय पूरा उत्तर भारत औरंगजेब के अत्याचारों से त्रस्त था। उन्हें यह एहसास हुआ कि ‘धर्म-संघटन और लोक-संघटन’ होगा तब ही राष्ट्र परतंत्रता से मुकाबला कर सकता है। धर्म-संघटन के लिए ईश्वर संकीर्तन और उसपर श्रद्धा अटूट रखनी होगी; और लोकसंघटन करके लोकशक्ति जाग्रत् करनी होगी। रामदास स्वामी भारत भ्रमण करके महाराष्ट्र पहुँचे तो उन्हें सुखद समाचार मिला। शहाजी राजा तथा जीजाबाई के सुपुत्र शिवाजी ने महाराष्ट्र में दो-चार किले मुसलिमों से जीतकर स्वराज्य का शुभारंभ किया था।
Add to Cart Customer Reviews 4.1 out of 5 stars 20 3.2 out of 5 stars 3 4.1 out of 5 stars 15 Price ₹142.50₹142.50 ₹51.45₹51.45 ₹182.00₹182.00ASIN : B076PLNTT8
Publisher : Prabhat Prakashan (15 December 2020)
Language : Hindi
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Print length : 170 pages
The Legend! The True Spritual Leader. Great personality
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Final Rites of Gaddar Sir| People’s Leader| Revolutionary Personality| Inspirational |Legend Forever
Purushottam Parashuram: Rediscovering the Heroic Legend of Lord Parashuram (Hindi Edition)
PURUSHOTTAM PARASHURAM by Pt. Vijay Shankar Mehta
पुरुषोत्तम परशुराम के अनुपमेय जीवन का सांगोपांग दर्शन कराती पठनीय पुस्तक।
पृथ्वी पर जब-जब अधर्म ने अपना अधिक प्रभाव दिखाया; तब-तब कुछ दिव्यात्माओं ने अपनी लीला दिखाई। भगवान् विष्णु के दस अवतारों में भगवान् परशुराम को भी एक माना जाता है। वे महर्षि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र थे। राजा कार्तवीर्य; जिसे सहस्रार्जुन भी कहा गया है; ने एक बार जमदग्निजी के आश्रम पर आक्रमण करके कामधेनु गाय का अपहरण किया। परशुरामजी ने सहस्रार्जुन से युद्ध किया और दंड-स्वरूप उसका वध कर दिया। सहस्रार्जुन के पुत्रों ने परशुरामजी की अनुपस्थिति में आश्रम पर आक्रमण कर उनके पिता जमदग्निजी की हत्या कर दी थी। इस विराट् व्यक्तित्व पर यह नाटक इसीलिए तैयार किया जा रहा है कि उनके उद्देश्यों को हम आज भी अपने निजी; पारिवारिक और राष्ट्रीय जीवन में उतार सकें। प्रयास यही किया गया है कि इनके चरित्र से संबंधित घटनाएँ शास्त्रों के आधार पर प्रामाणिक रहें। किंतु अलग-अलग शास्त्रों और साहित्य में घटनाओं के वर्णन में भिन्नता है। यह नाट्य-साहित्य केवल शोध की दृष्टि से तैयार नहीं किया गया है वरन् इसका उद्देश्य है; परशुरामजी के अद्भुत व्यक्तित्व को आज के हमारे जीवन से जोड़ना। __________________________________________________________________________________________________________________________________
नई दृष्टि और अद्भुत वाक्-शैली के साथ धर्म व अध्यात्म पर व्याख्यान के लिए देश और दुनिया में जाने जाते हैं पं. विजयशंकर मेहता। वर्ष 2004 से अब तक 75 विषयों पर लगभग 3, 000 व्याख्यान दे चुके हैं। 20 वर्ष रंगकर्म-पत्रकारिता में बिताने के बाद 12 वर्षों से आध्यात्मिक विषयों पर व्याख्यान का लोकप्रिय सिलसिला जीवन से जोड़ते हुए नई दृष्टि से श्रीमद्भागवत, श्रीरामकथा, शिवपुराण तथा हनुमत-चरित्र पर कथा कह रहे हैं।
Customer Reviews 4.7 out of 5 stars 5 4.3 out of 5 stars 19 4.2 out of 5 stars 22 3.7 out of 5 stars 28 3.8 out of 5 stars 13 Price ₹96.90₹96.90 ₹74.81₹74.81 ₹123.50₹123.50 ₹115.50₹115.50 ₹79.06₹79.06ASIN : B0789M6BKD
Publisher : Prabhat Prakashan (15 December 2017)
Language : Hindi
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Print length : 81 pages