The Women of Hindu Mythology: A Beginner’s Guide to the Goddesses, Heroines and Demonesses in Hinduism’s Myths and Folktales (Legendary Lores)


ASIN ‏ : ‎ B0C3ZW9HQG
Publisher ‏ : ‎ Spent Pens (30 April 2023)
Language ‏ : ‎ English
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Devi-Devtaon ki Kahaniyan: Timeless Myths and Legends of Hindu Mythology (Hindi Edition)

From the Publisher

Devi-Devtaon ke Rahasya by Devdutt Pattnaik

Devi-Devtaon ki KahaniyanDevi-Devtaon ki Kahaniyan

हिंदुओं की आस्था के केंद्रबिंदु देवी-देवताओं के चित्रों के माध्यम से धार्मिक नवजागरण का मार्ग प्रशस्त करती एक पठनीय पुस्तक।

हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की बहुत मान्यता है। घर-घर में अनेक देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना अपूर्व श्रद्धा; आस्था; प्रेम और विधि-विधान से की जाती है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता भी है कि इन देवी-देवताओं की संख्या करोड़ों में है। इनके प्रति असीम भक्ति और मान्यताओं ने ही इनकी अनेक कथाओं को जन्म दिया। रामायण; गीता; उपनिषद आदि अनेक ग्रंथ और पुराणों में इन्हीं वंदनीय देवी-देवताओं की रोचक एवं मनोरंजक कथाएँ प्रचलित हैं। प्रस्तुत पुस्तक पुराणों तथा अन्य हिंदू वाङ्मय-गं्रथों से चुनी गई ऐसी श्रेष्ठ कथाओं का संग्रह है; जो अनेक देवी-देवताओं के रहस्यमयी जीवन की घटनाओं को उजागर करती हैं। अपने धर्म के प्रति आस्था जाग्रत् करने और इष्टदेवी-देवताओं के प्रति भक्ति में तल्लीन होने का संदेश देती पठनीय पुस्तक।

अनुक्रम

अपनी बातसमुद्र—मंथन की कथाइंद्र और नमुचि की कथागायों की मुक्तिमधु-विद्या का रहस्यअगस्त ऋषि का शापत्रिपुरासुर संहार कथादरिद्रता का कोपकालयवन वधशिव की महिमाभगवान विष्णु की आराधनाभक्ति की सामर्थ्यमायापति की मायाशंकर के अंशभक्त की पुकारभगवान कृष्ण की मायासूर्य देव का विवाहमहिषासुर की कथाशिव का वरदानमाँ दुर्गा की कथा

भगवान विष्णु

भगवान विष्णु

चक्रवर्ती सम्राट

चक्रवर्ती सम्राट

महर्षि

महर्षि देवेंद्र ने उनसे कहा, “हे अंतर्यामी! आपसे कुछ छुपा नहीं है

भगवान विष्णु कुछ देर मौन रहे, फिर बोले, “मेरी बात ध्यान से सुनो, तभी तुम्हारा कल्याण सुनिश्चित है। तुम्हारे शत्रुओं ने तुम पर विजय प्राप्त कर ली है, इसलिए अभी तुम्हें उनके साथ संधि कर लेनी चाहिए।”

“परंतु देव, हम संधि कैसे करें?” देवेंद्र बोले, “असुर तो हर अवसर पर हमारी दशा से लाभ उठाते हैं। वे हमसे बुरा व्यवहार करते हैं।”

“समय पड़ने पर चूहे और साँप में भी मैत्री हो जाती है।” भगवान विष्णु ने कहा, “इसलिए इस समय असुरों से मित्रता कर लेना ही तुम्हारे हित में है।”

“किंतु भगवन्! हम उनके पास जाने से डरते हैं।” इंद्र बोले।

“तभी तो मैं कहता हूँ कि पहले उनसे संधि करो, उसके बाद समुद्र-मंथन कर अमृत प्राप्त करने का प्रयत्न करो।” भगवान विष्णु ने कहा, “तुम अमृत प्राप्त करने में उन्हीं असुरों की सहायता लो। एक बार यदि तुम लोग अमृत पी लोगे तो फिर तुम्हें उनसे कोई भय नहीं रहेगा।”

"इंद्रलोक का राजकाज चलाने के लिए किसी समर्थ, योग्य और अनुभवी राजा को ही इस पद पर बैठाया जाए।

सबकी सहमति होने पर नहुष को इंद्र की पदवी देकर इंद्रासन सौंप दिया गया। नहुष ने बड़ी कुशलता से राज-काज सँभाल लिया। इंद्रलोक का वैभव देखकर उन्होंने सोचा कि ऐसा सुख और वैभव भूलोक के राजाओं को कहाँ। सचमुच इंद्र होना कितने वैभव और संपदा का स्वामी होना होता है। इसके आगे तो मेरे भूलोक का राज एक दरिद्र का राज लगता है।

इंद्रलोक की चकाचौंध में नहुष अपने कर्त्तव्य पर उतना ध्यान न देकर सुख-वैभव भोगने के बारे में ज्यादा सोचने लगे। उन्होंने यह नहीं सोचा कि वे अस्थायी रूप से इंद्र-पद पर बैठाए गए हैं, बल्कि वे अब अपने को सचमुच का इंद्र समझने लगे। जब वे इंद्र बन गए तो इंद्राणी भी उनकी होनी चाहिए, ऐसा विचार उनके मन में पैदा हुआ।

दरिद्रता के इस अभिशाप ने समाज में उनका सम्मान भी नष्ट कर दिया है।

महर्षि ने क्षुधा की पीड़ा उसके नेत्रों में देखी। भूख के मारे उसके नेत्र अंदर गड़ गए थे। उन्होंने एक दृष्टि उसकी काया पर डाली। पेट पीठ से लग गया था, कँधे झुक गए थे। चलने-फिरने की शक्ति समाप्त हो गई थी। भूख-प्यास ने सब कुछ नष्ट कर दिया था।

ऋषि ने यह अनुभव किया कि दरिद्रता के भय से साथियों ने मुख मोड़ लिया है। पक्षियों ने आश्रम त्याग दिया है। अब कहीं भी उसका कलरव सुनाई नहीं देता। आश्रम के सभी पशु-पक्षी भी धीरे-धीरे उनसे किनारा कर गए हैं। किंतु अग्नि को साक्षी मानकर साथ रहने की प्रतिज्ञा करने वाली पत्नी ने उनका साथ नहीं छोड़ा।

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ASIN ‏ : ‎ B07654LLGP
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (1 February 2021)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Myths and Symbols in Indian Art and Civilization (Princeton Classics Book 29)


ASIN ‏ : ‎ B0859XGR26
Publisher ‏ : ‎ Princeton University Press; Illustrated edition (3 April 2018)
Language ‏ : ‎ English
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Print length ‏ : ‎ 290 pages
Page numbers source ISBN ‏ : ‎ 8120807162
12:05

History Summarized: Ancient India

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