The History of Hindu India (English narration and English subtitles)
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The History of Hindu India (English narration and English subtitles)

Complete History Series Playlist: https://www.youtube.com/watch?v=Lr8Qx0SyrYI&index=2&list=PLkA3jcdbA5kTwKf5gHchrJliKCMTM__7B Part One: https://youtu.be/dBZRTzXARWM Part Two: https://youtu.be/j0kLX2aPgo8 Part Three: https://youtu.be/Lr8Qx0SyrYI Part Four: https://youtu.be/nx_vSuduwAk Part Five: https://youtu.be/eVnqJHO3PcY The History of Hindu India (Part One) was developed by the editors of Hinduism Today magazine in collaboration with Dr. Shiva Bajpai, Professor Emeritus of History, California State University Northridge. It is intended to provide […]

Sangharsh (Krishna Ki Atmakatha Vol. VII): Manu Sharma’s Narration of Krishna’s Struggles (Hindi Edition)

From the Publisher

Sangharsh (Krishna Ki Atmakatha - Vol. 7) by Manu Sharma

Sangharsh (Krishna Ki Atmakatha - Vol. 7) Sangharsh (Krishna Ki Atmakatha - Vol. 7)

कर्म; भक्ति; नैतिकता और जीवन-मूल्यों का व्यावहारिक ज्ञान देनेवाली पुस्तक।

भगवान् श्रीकृष्ण का पृथ्वीलोक पर अवतरण ऐसे समय में हुआ था; जब यहाँ पर अन्याय; अधर्म और अनीति का प्रसार हो रहा था। आसुरी शक्तियाँ प्रभावी हो रही थीं और संतों; ऋषि-मुनियों के साथ-साथ सामान्य जनों का जीवन दूभर हो गया था; यहाँ तक कि स्वयं पृथ्वी भी बढ़ते अत्याचारों से त्राहि-त्राहि कर उठी थी।

नियति ने हमेशा मुझपर युद्ध थोपा—जन्म से लेकर जीवन के अंत तक। यद्यप‌ि मेरी मानसिकता सदा युद्ध-विरोधी रही; फिर भी मैंने उन युद्धों का स्वागत किया। उनसे घृणा करते हुए भी मैंने उन्हें गले लगाया। मूलतः मैं युद्धवादी नहीं था। जब से मनुष्य पैदा हुआ तब से युद्ध पैदा हुआ—और शांति की ललक भी। यह ललक ही उसके जीवन का सहारा बनी। इस शांति की ललक की हरियाली के गर्भ में सोए हुए ज्वालामुखी की तरह युद्ध सुलगता रहा और बीच-बीच में भड़कता रहा। यही मानव सभ्यता के विकास की नियति बन गया। लोगों ने मेरे युद्धवादी होने का प्रचार भी किया; पर मैंने कोई परवाह नहीं की, क्यों‌‌क‌ि मेरी धारणा थी—और है कि मानव का एक वर्ग वह, जो वैमनस्य एवं ईर्ष्या-द्वेष के वशीभूत होकर घृणा और हिंसा का जाल बुनता रहा—युद्धक है वह, युद्धवादी है वह । पर जो उस जाल को छिन्न-भ‌िन्न करने के लिए तलवार उठाता रहा, वह कदापि युद्धवादी नहीं है, युद्धक नहीं है। और यही जीवन भर मैं करता रहा। कृष्‍ण के अनगिनत आयाम हैं। दूसरे उपन्यासों में कृष्‍ण के किसी विशिष्‍ट आयाम को ‌‌ल‌िया गया है। किंतु आठ खंडों में विभक्‍त इस औपन्‍यासिक श्रृंखला ‘कृष्‍ण की आत्मकथा’ में कृष्‍‍ण को उनकी संपूर्णता और समग्रता में उकेरने का सफल प्रयास ‌‌क‌िया गया है। किसी भी भाषा में कृष्‍‍णचरित को लेकर इतने विशाल और प्रशस्‍त कैनवस का प्रयोग नहीं किया है। यथार्थ कहा जाए तो ‘कृष्‍ण की आत्मकथा’ एक उपनिषदीय कृति है। ‘कृष्‍‍ण की आत्मकथा श्रृंखला के आठों ग्रंथ’ नारद की भविष्‍यवाणी दुरभिसंध‌ि द्वारका की स्‍थापना लाक्षागृह खांडव दाह राजसूय यज्ञ संघर्ष प्रलय.

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ASIN ‏ : ‎ B07CSZBVBH
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (2 May 2018)
Language ‏ : ‎ Hindi
File size ‏ : ‎ 1325 KB
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Print length ‏ : ‎ 400 pages