Bhaktiyoga: Swami Vivekanand’s Path to Devotion and Spirituality (Hindi Edition)

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Bhaktiyoga by Swami Vivekananda

BhaktiyogaBhaktiyoga

निष्कपट भाव से ईश्वर की खोज को 'भक्तियोग' कहते हैं। इस खोज का आरंभ, मध्य और अंत प्रेम में होता है। ... ''भगवान् के प्रति उत्कट प्रेम ही भक्ति है।

जब प्रेम का यह उच्चतम आदर्श प्राप्त हो जाता है, तो ज्ञान फिर न जाने कहाँ चला जाता है। तब भला ज्ञान की इच्छा भी कौन करे? तब तो मुक्ति, उद्धार, निर्वाण की बातें न जाने कहाँ गायब हो जाती हैं। इस दैवी प्रेम में छके रहने से फिर भला कौन मुक्त होना चाहेगा? ''प्रभो! मुझे धन, जन, सौन्दर्य, विद्या, यहाँ तक कि मुक्ति भी नहीं चाहिए। बस इतनी ही साध है कि जन्म जन्म में तुम्हारे प्रति मेरी अहैतुकी भक्ति बनी रहे।'' भक्त कहता है, ''मैं शक्कर हो जाना नहीं चाहता, मुझे तो शक्कर खाना अच्छा लगता है।'' तब भला कौन मुक्त हो जाने की इच्छा करेगा? कौन भगवान के साथ एक हो जाने की कामना करेगा? भक्त कहता है, ''मैं जानता हूँ कि वे और मैं दोनों एक हैं, पर तो भी मैं उनसे अपने को अलग रखकर उन प्रियतम का सम्भोग करूँगा।'' प्रेम के लिए प्रेम - यही भक्त का सर्वोच्च सुख है

***

अनुक्रम

प्रार्थनाभक्ति के लक्षणईश्वर का स्वरूपभक्तियोग का ध्येय-प्रत्यक्षानुभूतिगुरु की आवश्यकतागुरु और शिष्य के लक्षणअवतारमंत्रप्रतीक तथा प्रतिमा-उपासनाइष्टनिष्ठाभक्ति के साधनपराभक्ति-त्यागभक्त का वैराग्य-प्रेमजन्यभक्तियोग की स्वाभाविकता और उसका रहस्यभक्ति के अवस्था-भेदसार्वजनीन प्रेमपराविद्या और पराभक्ति दोनों एक हैंप्रेम-त्रिकोणात्मकप्रेममय भगवान् स्वयं अपना प्रमाण हैंदैवी प्रेम की मानवी विवेचनाउपसंहार Swami VivekanandaSwami Vivekananda

स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता में हुआ था।

पाँच वर्ष की आयु में ही बड़ों की तरह सोचने, व्यवहार करनेवाला तथा अपने विवेक से हर जानकारी की विवेचना करनेवाला यह विलक्षण बालक सदैव अपने आस-पास घटित होनेवाली घटनाओं के बारे में सोचकर स्वयं निष्कर्ष निकालता रहता था। नरेंद्र ने श्रीरामकृष्णदेव को अपना गुरु मान लिया था।उसके बाद एक दिन उन्होंने नरेंद्र को संन्यास की दीक्षा दे दी। उसके बाद गुरु ने अपनी संपूर्ण शक्‍त‌ियाँ अपने नवसंन्यासी शिष्य स्वामी विवेकानंद को सौंप दीं, ताकि वह विश्‍व-कल्याण कर भारत का नाम गौरवान्वत कर सके। 4 जुलाई, 1902 को यह महान् तपस्वी अपनी इहलीला समाप्त कर परमात्मा में विलीन हो गया। इनकी माता श्रीमती भुवनेश्‍वरी देवीजी धामर्क विचारों की महिला थीं। बचपन से ही नरेंद्र अत्यंत कुशाग्र बुद्ध के और नटखट थे। इनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ था। इनके पिता श्री विश्‍वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। रिवार के धामर्क एवं आध्यात्मक वातावरण के प्रभाव से बालक नरेंद्र के मन में बचपन से ही धमर् एवं अध्यात्म के संस्कार गहरे पड़ गए। Click & Buy Customer Reviews — 4.6 out of 5 stars 400 4.5 out of 5 stars 715 4.5 out of 5 stars 210 4.5 out of 5 stars 715 4.6 out of 5 stars 99 Price — ₹93.32₹93.32 ₹61.95₹61.95 ₹92.57₹92.57 ₹61.95₹61.95 ₹84.83₹84.83
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Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (1 January 2014)
Language ‏ : ‎ Hindi
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DHYAN AUR SIDDHI PRAPTI KAISE KAREIN: Nurturing Meditation and Attainment – Embracing the Path to Meditation and Achievement (Hindi Edition)

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DHYAN AUR SIDDHI PRAPTI KAISE KAREIN (Hindi) by Mahesh Sharma

DHYAN AUR SIDDHI PRAPTI KAISE KAREIN (Hindi) by Mahesh SharmaDHYAN AUR SIDDHI PRAPTI KAISE KAREIN (Hindi) by Mahesh Sharma

ध्यान सिद्धि हमें इस बात का अहसास दिलाती है कि हम आखिर है कौन? तब हमें अपनी अतींद्रिय क्षमताओं का पता चलना शुरू होता है।

ध्यान सिद्धि हमें इस बात का अहसास दिलाती है कि हम आखिर है कौन? तब हमें अपनी अतींद्रिय क्षमताओं का पता चलना शुरू होता है। तब हमारी जीने की धारा बदल जाती है और ये जरूरी नहीं कि ये कहा जाए कि हम आध्यात्मिक हो जाते हैं, आध्यात्मिक हम इसलिए हो जाते हैं, क्योंकि हमें सत्य का ज्ञान हो जाता है। हम सत्य की राह पर चलने लगते है। जो नाशवान है, उससे मुँह मोड़ लेते है और जो नित्य है उसकी तरफ अपना ध्यान रखना शुरू करते है। यही वास्तविक ध्यान सिद्धि है।

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लेखक की प्रसिद्ध कृतियां।

Customer Reviews 5.0 out of 5 stars 1 4.0 out of 5 stars 72 4.1 out of 5 stars 22 4.1 out of 5 stars 36 4.1 out of 5 stars 12 3.8 out of 5 stars 57 Price ₹51.45₹51.45 ₹51.45₹51.45 ₹51.45₹51.45 ₹51.45₹51.45 ₹51.45₹51.45 ₹51.45₹51.45 Mahesh SharmaMahesh Sharma

महेश शर्मा

हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश दत्त शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर।

उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य।

लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य।

भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य।

संप्रति : स्वतंत्र लेखक-पत्रकार।

सम्मान एवं पुरस्कार : मध्य प्रदेश विधानसभा का 'गांधी दर्शन पुरस्कार' (द्वितीय) पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा 'डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार' समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु 'डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान' नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में ‘बुंदेलखंड युवा पुरस्कार' समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा 'लेखक रत्न पुरस्कार'
ASIN ‏ : ‎ B08CXXV93H
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (14 July 2020)
Language ‏ : ‎ Hindi
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The Path of Devotion: Swami Paramananda’s Spiritual Guidance on the Path of Divine Love

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The Path of Devotion by Swami Paramananda

The Path of Devotion by Swami Paramananda The Path of Devotion by Swami Paramananda

Paramananda (1884–1940) was a swami and one of the early Indian teachers who went to the United States to spread the Vedanta philosophy.

Man was meant to live in peace with himself, to be filled with a sense of deep joy, and to have a clear understanding of the purpose of life. To know God, to realize him, to be one with him, feeling his presence in all things - this is man's natural and true nature. Realizing our true nature is the sole purpose in living this life- nothing more and nothing less. What we must aspire to do is to awaken and utilize our innermost potentials to their infinite capacity, to live life to the full.For each individual there is a way, a path that will lead him to his real self; that is his dharma, which will enable him to leave this life of confusion and suffering behind. Although the goal is one, the paths to it are many and it is the responsibility of each of us to find the one that will suit our nature and personality. Once the way is found, doors will open wide upon a whole new life.Here, we are concerned with one particular path, that of divine love which in yogic terms is known as bhakti yoga. The word bhakti comes from the Sanskrit root word bhaja, which means 'to serve, adore, love and be devoted' Customer Reviews 3.9 out of 5 stars 11 4.4 out of 5 stars 36 4.1 out of 5 stars 21 4.5 out of 5 stars 2 4.6 out of 5 stars 1,020 5.0 out of 5 stars 10 Price ₹51.45₹51.45 ₹52.48₹52.48 ₹51.45₹51.45 ₹46.02₹46.02 ₹51.45₹51.45 ₹51.45₹51.45
ASIN ‏ : ‎ B08CHGTKC3
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (7 July 2020)
Language ‏ : ‎ English
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Bhakti Yoga (Swami Vivekananda Motivational & Inspirational Book) by Swami Vivekananda: The Path of Devotion and Spirituality

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Bhakti Yoga (Swami Vivekananda Motivational & Inspirational Book)

Bhakti Yoga (Swami Vivekananda Motivational & Inspirational Book)Bhakti Yoga (Swami Vivekananda Motivational & Inspirational Book)

Bhakti Yoga is a real genuine search after the Lord, a search beginning, continuing, and ending in Love.

Swami Vivekananda 12 January 1863 – 4 July 1902, born Narendranath Datta, was an Indian Hindu monk, a chief disciple of the 19th-century Indian mystic Ramakrishna.He was a key figure in the introduction of the Indian philosophies of Vedanta and Yoga to the Western world and is credited with raising interfaith awareness, bringing Hinduism to the status of a major world religion during the late 19th century. He was a major force in the revival of Hinduism in India, and contributed to the concept of nationalism in colonial India. Vivekananda founded the Ramakrishna Math and the Ramakrishna Mission. He is perhaps best known for his speech which began with the words - "Sisters and brothers of America in which he introduced Hinduism at the Parliament of the World's Religions in Chicago in 1893.Swami Vivekananda revealed to the world the true foundations of India's unity as a nation. He taught how a nation with such a vast diversity can be bound together by a feeling of humanity and brother-hood. Vivekananda emphasized the points of drawbacks of western culture and the contribution of India to overcome those. Netaji Subhash Chandra Bose once said: “Swamiji harmonized the East and the West, religion and science, past and present. And that is why he is great. Our countrymen have gained unprecedented self-respect, self-reliance and self-assertion from his teachings.” Vivekananda was successful in constructing a virtual bridge between the culture of East and the West. He interpreted the Hindu scriptures, philosophy and the way of life to the Western people. He made them realize that in spite of poverty and backwardness, India had a great contribution to make to world culture. He played a key role in ending India's cultural isolation from the rest of the world. Vivekanand Ki AtmakathaVivekanand Ki Atmakatha

Books by Swami Vivekananda

Rajyoga by Swami Vivekanand Karmayoga by Swami VivekanandGyanyoga by Swami VivekanandPremyoga by Swami VivekanandBhaktiyoga by Swami VivekanandMeditation-And-Its-Methods (English) by Swami VivekanandPatanjali Yoga Sutra (English) by Swami Vivekanand

Books on Swami Vivekanand

Swami Vivekanand Ke Jeevan Ki Kahaniyan by Mukesh NadanGyanmarg Karmayogi Swami Vivekananda by Deokinandan GautamSwami Vivekanand : Prasiddh Darshnik, Anjaan Kavi by Radhika NagrathVivekanand Ki Atmakatha by SankarVivekanand Ka Shaikshik Darshan by Mahesh Sharma Bestseller BooksBestseller Books
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Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (4 March 2020)
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SUNDERKAND PATH | DOHA 56 | Indian Religious | Spiritual Songs & Bhajan | Pandit Manoj Pujari
04:48

SUNDERKAND PATH | DOHA 56 | Indian Religious | Spiritual Songs & Bhajan | Pandit Manoj Pujari

#SangeetmayShriSunderkandPath #SundarkandPath #Sundarkand #Sunderkand Sunderkand Doha 56 Sunderkand Upasana सुन्दरकाण्ड पाठ । रामकथा । भजन संध्या । Here’s an Sunderkand Path by Shree Pandit Manoj Pujari Ji. Singer: Pandit Manoj Pujari Chorus: Alok Pujari Music : Hemant Sadhu & Suresh Majevadia Producer: Shri Ram Vinay Seva Trust ॥ सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुन गान। सादर […]
SUNDERKAND PATH | DOHA 15 TO 20 | Indian Religious & Spiritual Song & Bhajan Pandit Manoj Pujari Ji
11:46

SUNDERKAND PATH | DOHA 15 TO 20 | Indian Religious & Spiritual Song & Bhajan Pandit Manoj Pujari Ji

#SangeetmayShriSunderkandPath #SundarkandPath #Sundarkand #Sunderkand Sunderkand Doha from 15 to 20 Sunderkand Upasana सुन्दरकाण्ड पाठ । रामकथा । भजन संध्या । Here’s an Sunderkand Path by Shree Pandit Manoj Pujari Ji. Singer: Pandit Manoj Pujari Chorus: Alok Pujari Music : Hemant Sadhu & Suresh Majevadia Producer: Shri Ram Vinay Seva Trust ॥ सकल सुमंगल दायक रघुनायक […]

The Scent of Devotion : Sufi Path to Light – Discovering Inner Peace in Indian Sufism (Motivational and Self Help Books)

From the Publisher sufism, indian sufism, rumi, book on sufism, spirituality, self helpsufism, indian sufism, rumi, book on sufism, spirituality, self help

Introducing "The Scent of Devotion: Sufi Path to Light,"

sufism, indian sufism, rumi, book on sufism, spirituality, self helpsufism, indian sufism, rumi, book on sufism, spirituality, self help

A captivating investigation of inner peace viewed through the mystical prism of Indian Sufism.

Enter the mystical world of Indian Sufism, where the scent of devotion penetrates every page and the way to enlightenment beckons with its ages-old knowledge. Explore the profound lessons of early Sufi masters as their insightful teachings are skillfully woven into the fabric of this magnificent book.

A spiritual journey that softly leads you toward the enlightenment of your inner self, "The Scent of Devotion" is more than just a book. Take in the captivating stories and enchanting poems that are revealed; they each contain the essence of great truths and profound love.

This amazing trip reveals the strength of dedication, the grace of selflessness, and the peace of inner harmony. You may discover the intricate spiritual legacy of Indian Sufism through this book's pages as you delve into its obscure features and discover how it has withstood the test of time.

Unlock mindfulness's mysteries to find comfort in the arms of heavenly love. You are invited to experience the transforming power of Sufi practices via "The Scent of Devotion," which have moved searchers' hearts for generations.

This book will make a lasting impression on your heart whether you are a seeker of the truth, a fan of spiritual wisdom, or just an inquisitive person eager to delve into the depths of the human spirit.

As you begin this soul-enriching journey towards inner calm, let the aroma of devotion to surround you. Allow the mystic knowledge of Sufism to awaken the inner flame and lead you to a life of profound peace and love.

The timeless classic "The Scent of Devotion: Sufi Path to Light - Discovering Inner Peace in Indian Sufism" will continue to move your spirit long after you flip the last page. Your road to inner peace will become clearer if you allow your heart to be open to its enchanting charm.


ASIN ‏ : ‎ B0CD63V2SV
Language ‏ : ‎ English
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Sadhana Path (Marathi)

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Sadhana Path by Osho

Sadhana PathSadhana Path

व्यक्ती हेच समष्टीचे एकक आहे. त्यातूनच विकास व क्रांती होणार आहे. ते एकक तुम्ही आहात. त्यामुळेच मी तुम्हाला साद घालू इच्छितोय. मला तुम्हाला निद्रेतून जागवायचं आहे.

तुम्हाला दिसतंय का की, तुमचं जीवन कंटाळवाणं, निरर्थक आणि उबग आणणारं झालंय?

आयुष्याचा अर्थ आणि आशय हरवलाय. हे स्वाभाविकच आहे. मनुष्याच्या आत प्रकाश नसेल तर त्याच्या जीवनात अर्थ असू शकत नाही. मनुष्याच्या अंत:करणात ज्योत तेवत नसेल, तर जीवनात आनंद असू शकत नाही.

वस्तुत : माणसाच्या आत काहीही विझत नाही... आणि मनुष्य दिशाहीनही होत नाही. अंतर्नेत्र बंद असेल तर अंधार पसरतो आणि दिशांचा ठावठिकाणा लागत नाही. डोळे बंद असतील तर तो कमनशिबी आहे आणि डोळे उघडताच तो सम्राट होतो. मी तुम्हास कमनशिबी असण्याच्यास्वप्नातून सम्राट होण्याच्या जागृतीसाठी बोलावत आहे. मला तुमचा पराभव विजयामध्ये परिवर्तित करायचा आहे, आणि तुमच्या अंधाराला प्रकाशामध्ये आणि तुमच्या मृत्यूला अमृतामध्ये... परंतु तुम्ही माझ्यासोबत या प्रवासाला निघण्यासाठी उत्सुक आहात का?

- प्रस्तुत पुस्तकातून

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'साधना पथ' या पुस्तकात ओशोंच्या चौदा प्रवचनांचे संकलन केले आहे. त्यामध्ये केवळ 'स्व' ध्यानाचे नाही, तर समाज आणि धर्माच्या ध्यानाचेही महत्त्व विशद केले आहे.

ध्यानसाधनेतून स्वत्वाची जाणीव उत्पन्न व्हावी म्हणून ओशोंनी अनेक उदाहरणे दिली आहेत. केवळ आध्यात्मिक दृष्टिकोनातूनच नव्हे, तर सामान्य जीवन जगणाऱ्यांच्या दृष्टिकोनातूनही यामध्ये चर्चा केली गेली आहे, शिवाय ओशोंनी निरसन केलेल्या शंका आपल्याला प्रश्नोत्तराच्या स्वरूपात पहायला मिळतील. स्वत्वाची जाणीव निर्माण होण्याबाबत ओशो म्हणतात, “साधना एकटेपणात एकाकीपणात जन्माला येत असते. पण मानव तर कधीच एकटा नसतो. तो नेहमीच गर्दीने वेढलेला असतो आणि बाहेर गर्दी नसेल तर अंतर्मनात विचारांची गर्दी असते. या गर्दीचे विसर्जन करायचे आहे. तुमच्या अंतर्मनात गर्दी होऊ देऊ नका आणि बाहेरही या शिबिरात आपण एकटेच आहोत असं जगायचं आहे. इतरांशी कसलाही संबंध ठेवायचा नाही.

संबंध ठेवता ठेवता आपण स्वतःला विसरून गेलो आहोत. तुम्ही कुणाचे मित्र आहात, शत्रू आहात, पिता आहात, पुत्र आहात, पती आहात, पत्नी आहात. या नात्यांनी तुम्ही इतके वेढले गेले आहात की, तुम्ही इतके निकट असूनही स्वतःला ओळखू शकला नाहीत. या नातेसंबंधांपेक्षा तुम्ही वेगळे आहात याचा विचार तुम्ही कधी केला आहे का? नात्यांची ही वस्त्रे दूर करून तुम्ही स्वतःला कधी बघितलं आहे का? ही नाती स्वतःमधून वजा करा. असे समजा की, तुम्ही आपल्या आई-वडिलांचे पुत्र नाहीत, तुमच्या पत्नीचे पती नाहीत, आपल्या मुलांचे पिता नाहीत, मित्रांचे मित्र नाहीत, शत्रूचे शत्रू नाहीत आणि मग जे काही शिल्लक उरतं तेच तुमचं वास्तव असणं आहे. ही शिल्लक राहिलेली अधिसत्ताच तुम्ही स्वतः आहात. त्यातच आपल्याला राहायचं आहे.

ही सूत्रं अमलात आणली तर असं वातावरण तयार होईल जे शांती आणि सत्यानुभूतीची साधना करण्यासाठी अत्यंत आवश्यक आहे."

OshoOsho

Osho

ओशो को लंदन के दॅ संडे टाइम्स ने “बीसवीं सदी के 1000 निर्माताओं” में से एक कह कर वर्णित किया है। सुप्रसिद्ध अमरिकी लेखक टॉम राबिन्स ने लिखा है कि ओशो “जीसस क्राइस्ट के बाद सर्वाधिक खतरनाक व्यक्ति हैं।” भारत के संडे मिड-डे ने ओशो को गांधी, नेहरू और बुद्ध के साथ उन दस लोगों में चुना है जिन्होंने भारत का भाग्य बदल दिया। अपने कार्य के बारे में ओशो ने कहा है कि वे एक नये मनुष्य के जन्म के लिए परिस्थितियां तैयार कर रहे हैं। इस नये मनुष्य को वे ‘ज़ोरबा दि बुद्धा’ कहते हैं-जो ‘जोरबा दि ग्रीक’ की तरह पृथ्वी के समस्त सुखों को भोगने की क्षमता रखता हो और गौतम बुद्ध की तरह मौन स्थिरता में जीता हो। ओशो के हर आयाम में एक धारा की तरह बहता हुआ वह जीवन-दर्शन है जो पूरब की समयातीत प्रज्ञा और पश्चिम के विज्ञान और तकनीकी की सर्वोच्च संभावनाओं को एक साथ समाहित करता है। ओशो आंतरिक रूपांतरण के विज्ञान में अपने क्रांतिकारी योगदान के लिए जाने जाते हैं और ध्यान की उन विधियों के प्रस्तोता हैं जो आज के गतिशील जीवन को ध्यान में रख कर रची गई हैं।

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Publisher ‏ : ‎ Saket Prakashan Pvt Ltd; First Edition (1 January 2014); Saket Prakashan Pvt. Ltd. 115, Mahatma Gandhi Nagar, Station Road, Chhatrapati Sambhajinagar, 431005, Maharashtra, India, 9881745605
Language ‏ : ‎ Marathi
Paperback ‏ : ‎ 144 pages
ISBN-10 ‏ : ‎ 8177868675
ISBN-13 ‏ : ‎ 978-8177868678
Item Weight ‏ : ‎ 100 g
Dimensions ‏ : ‎ 14 x 14 x 21 cm
Net Quantity ‏ : ‎ 1 Count
Packer ‏ : ‎ Saket Prakashan Pvt. Ltd. 115, Mahatma Gandhi Nagar, Station Road, Chhatrapati Sambhajinagar, 431005, Maharashtra, India, 9881745605
Generic Name ‏ : ‎ Book

Sabhi Ke Liye Yoga: B.K.S. Lyengar’s Path to Holistic Wellness (Hindi Edition)

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Sabhi Ke Liye Yoga by B.K.S. Iyengar

Sabhi Ke Liye Yoga by B.K.S. IyengarSabhi Ke Liye Yoga by B.K.S. Iyengar

योग सत्र में मुख्य रूप से व्यायाम, ध्यान और योग आसन शामिल होते हैं जो विभिन्न मांसपेशियों को मजबूत करते हैं।

योग - अभ्यास का एक प्राचीन रूप जो भारतीय समाज में हजारों साल पहले विकसित हुआ था और उसके बाद से लगातार इसका अभ्यास किया जा रहा है। इसमें किसी व्यक्ति को सेहतमंद रहने के लिए और विभिन्न प्रकार के रोगों और अक्षमताओं से छुटकारा पाने के लिए विभिन्न प्रकार के व्यायाम शामिल हैं। यह ध्यान लगाने के लिए एक मजबूत विधि के रूप में भी माना जाता है जो मन और शरीर को आराम देने में मदद करता है। दुनियाभर में योग का अभ्यास किया जा रहा है। विश्व के लगभग 2 अरब लोग एक सर्वेक्षण के मुताबिक योग का अभ्यास करते हैं।

योग के फायदे

मांसपेशियों के लचीलेपन में सुधारशरीर के आसन और एलाइनमेंट को ठीक करता हैबेहतर पाचन तंत्र प्रदान करता हैआंतरिक अंग मजबूत करता हैअस्थमा का इलाज करता हैमधुमेह का इलाज करता हैदिल संबंधी समस्याओं का इलाज करने में मदद करता हैत्वचा के चमकने में मदद करता हैशक्ति और सहनशक्ति को बढ़ावा देता हैएकाग्रता में सुधारमन और विचार नियंत्रण में मदद करता हैचिंता, तनाव और अवसाद पर काबू पाने के लिए मन शांत रखता है
ASIN ‏ : ‎ B072X9Z8Q2
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (1 January 2015)
Language ‏ : ‎ Hindi
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Print length ‏ : ‎ 344 pages

Karma Yoga (Swami Vivekananda Motivational & Inspirational Book) – Path to Selfless Action: Swami Vivekananda’s Teachings on Karma Yoga for Motivation and Inspiration

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Karma Yoga (Swami Vivekananda Motivational & Inspirational Book)

Karma Yoga (Swami Vivekananda Motivational & Inspirational Book)Karma Yoga (Swami Vivekananda Motivational & Inspirational Book)

Based on lectures the Swami delivered in his rented rooms at 228 W 39th Street in December, 1895 and January, 1896.

Swami Vivekananda 12 January 1863 – 4 July 1902, born Narendranath Datta, was an Indian Hindu monk, a chief disciple of the 19th-century Indian mystic Ramakrishna.He was a key figure in the introduction of the Indian philosophies of Vedanta and Yoga to the Western world and is credited with raising interfaith awareness, bringing Hinduism to the status of a major world religion during the late 19th century. He was a major force in the revival of Hinduism in India, and contributed to the concept of nationalism in colonial India. Vivekananda founded the Ramakrishna Math and the Ramakrishna Mission. He is perhaps best known for his speech which began with the words - "Sisters and brothers of America in which he introduced Hinduism at the Parliament of the World's Religions in Chicago in 1893.The word Karma is derived from the Sanskrit Kri, to do; all action is Karma. Technically, this word also means the effects of actions. In connection with metaphysics, it sometimes means the effects, of which our past actions were the causes. But in Karma-Yoga we have simply to do with the word Karma as meaning work. The goal of mankind is knowledge; that is the one ideal placed before us by Eastern philosophy. Pleasure is not the goal of man, but knowledge. Pleasure and happiness come to an end. It is a mistake to suppose that pleasure is the goal; the cause of all the miseries we have in the world is that men foolishly think pleasure to be the ideal to strive for. After a time man finds that it is not happiness, but knowledge, towards which he is going, and that both pleasure and pain are great teachers, and that he learns as much from evil as from good. As pleasure and pain pass before his soul they leave upon it different pictures, and the result of these combined impressions is what is called man's "character." If you take the character of any man it really is but the aggregate of tendencies, the sum-total of the bent of his mind; you will find that misery and happiness are equal factors in the formation of that character. Good and evil have an equal share in moulding character, and in some instances misery is a greater teacher than happiness. In studying the great characters the world has produced, I dare say, in the vast majority of cases, it would be found that it was misery that taught more than happiness, it was poverty that taught more than wealth, it was blows that brought out their inner fire more than praise.Although the Swami delivered many lectures and held numerous classes in the two years and five months he had been in America, these lectures constituted a departure in the way they were recorded. Just prior to the commencement of his Winter -95-96 season in NYC, his friends and supporters aided him by advertising for and ultimately hiring a professional stenographer: The man selected, Joseph Josiah Goodwin, later became a disciple of the Swami and followed him to England and India. Vivekanand Ki AtmakathaVivekanand Ki Atmakatha

Books by Swami Vivekananda

Rajyoga by Swami Vivekanand Karmayoga by Swami VivekanandGyanyoga by Swami VivekanandPremyoga by Swami VivekanandBhaktiyoga by Swami VivekanandMeditation-And-Its-Methods (English) by Swami VivekanandPatanjali Yoga Sutra (English) by Swami Vivekanand

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Swami Vivekanand Ke Jeevan Ki Kahaniyan by Mukesh NadanGyanmarg Karmayogi Swami Vivekananda by Deokinandan GautamSwami Vivekanand : Prasiddh Darshnik, Anjaan Kavi by Radhika NagrathVivekanand Ki Atmakatha by SankarVivekanand Ka Shaikshik Darshan by Mahesh Sharma Bestseller BooksBestseller Books
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Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (19 March 2020)
Language ‏ : ‎ English
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Print length ‏ : ‎ 114 pages