International Web-Symposium “Contributions of Indian Diaspora (PIO) in Freedom Struggles of India”
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International Web-Symposium “Contributions of Indian Diaspora (PIO) in Freedom Struggles of India”

The International Web-Symposium on Contributions of Indian Diaspora (PIO) in Freedom Struggles of India, 2nd October, 2021 organised by Diaspora and International Migration Programme (DIMP), CAS-School of International Studies, Jawaharlal Nehru University, New Delhi in collaboration with Organisation for Diaspora Initiatives (ODI) India will be held on 2nd October, 2021 from 4:00 PM to 7:30 […]

Sangharsh (Krishna Ki Atmakatha Vol. VII): Manu Sharma’s Narration of Krishna’s Struggles (Hindi Edition)

From the Publisher

Sangharsh (Krishna Ki Atmakatha - Vol. 7) by Manu Sharma

Sangharsh (Krishna Ki Atmakatha - Vol. 7) Sangharsh (Krishna Ki Atmakatha - Vol. 7)

कर्म; भक्ति; नैतिकता और जीवन-मूल्यों का व्यावहारिक ज्ञान देनेवाली पुस्तक।

भगवान् श्रीकृष्ण का पृथ्वीलोक पर अवतरण ऐसे समय में हुआ था; जब यहाँ पर अन्याय; अधर्म और अनीति का प्रसार हो रहा था। आसुरी शक्तियाँ प्रभावी हो रही थीं और संतों; ऋषि-मुनियों के साथ-साथ सामान्य जनों का जीवन दूभर हो गया था; यहाँ तक कि स्वयं पृथ्वी भी बढ़ते अत्याचारों से त्राहि-त्राहि कर उठी थी।

नियति ने हमेशा मुझपर युद्ध थोपा—जन्म से लेकर जीवन के अंत तक। यद्यप‌ि मेरी मानसिकता सदा युद्ध-विरोधी रही; फिर भी मैंने उन युद्धों का स्वागत किया। उनसे घृणा करते हुए भी मैंने उन्हें गले लगाया। मूलतः मैं युद्धवादी नहीं था। जब से मनुष्य पैदा हुआ तब से युद्ध पैदा हुआ—और शांति की ललक भी। यह ललक ही उसके जीवन का सहारा बनी। इस शांति की ललक की हरियाली के गर्भ में सोए हुए ज्वालामुखी की तरह युद्ध सुलगता रहा और बीच-बीच में भड़कता रहा। यही मानव सभ्यता के विकास की नियति बन गया। लोगों ने मेरे युद्धवादी होने का प्रचार भी किया; पर मैंने कोई परवाह नहीं की, क्यों‌‌क‌ि मेरी धारणा थी—और है कि मानव का एक वर्ग वह, जो वैमनस्य एवं ईर्ष्या-द्वेष के वशीभूत होकर घृणा और हिंसा का जाल बुनता रहा—युद्धक है वह, युद्धवादी है वह । पर जो उस जाल को छिन्न-भ‌िन्न करने के लिए तलवार उठाता रहा, वह कदापि युद्धवादी नहीं है, युद्धक नहीं है। और यही जीवन भर मैं करता रहा। कृष्‍ण के अनगिनत आयाम हैं। दूसरे उपन्यासों में कृष्‍ण के किसी विशिष्‍ट आयाम को ‌‌ल‌िया गया है। किंतु आठ खंडों में विभक्‍त इस औपन्‍यासिक श्रृंखला ‘कृष्‍ण की आत्मकथा’ में कृष्‍‍ण को उनकी संपूर्णता और समग्रता में उकेरने का सफल प्रयास ‌‌क‌िया गया है। किसी भी भाषा में कृष्‍‍णचरित को लेकर इतने विशाल और प्रशस्‍त कैनवस का प्रयोग नहीं किया है। यथार्थ कहा जाए तो ‘कृष्‍ण की आत्मकथा’ एक उपनिषदीय कृति है। ‘कृष्‍‍ण की आत्मकथा श्रृंखला के आठों ग्रंथ’ नारद की भविष्‍यवाणी दुरभिसंध‌ि द्वारका की स्‍थापना लाक्षागृह खांडव दाह राजसूय यज्ञ संघर्ष प्रलय.

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ASIN ‏ : ‎ B07CSZBVBH
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (2 May 2018)
Language ‏ : ‎ Hindi
File size ‏ : ‎ 1325 KB
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Print length ‏ : ‎ 400 pages

Thakshankunnu Swaroopam : Translation of an Epic level Malayalam Historical Novel, panning 100 Years of a Region’s Struggles for Political Independence … of Over 100 Real and Imagined Characters


ASIN ‏ : ‎ B0CG3P8V4M
Publisher ‏ : ‎ Notion Press (19 August 2023)
Language ‏ : ‎ English
File size ‏ : ‎ 2859 KB
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Print length ‏ : ‎ 436 pages
Page numbers source ISBN ‏ : ‎ B0CC3S71YW